November 24, 2024

विद्यार्थी सपने देखे और उसे पूरा करने जी तोड मेहनत करे : मोक्षदा

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खैरागढ़

विद्यार्थी सपने देखें और उसे पूरा करने के लिये वे जी तोड़कर मेहनत करें।ये बातें खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति पद्मश्री डॉ. मोक्षदा (ममता) चंद्राकर ने अपने तथा विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर (गायन) डॉ. दिवाकर कश्यप (गायक कश्यप बंधु) के सम्मान में आयोजित समारोह में कही।

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार की घोषणा होते ही यूं तो पूरे छत्तीसगढ़ में खुशी का वातावरण है, क्योंकि सम्मानित सूची में खैरागढ से ही तीन लोगों के नाम यहीं से शामिल हैं। इसी अवसर पर विश्वविद्यालय के लोक संगीत विभाग द्वारा साप्ताहिक कार्यक्रम कला चौपाल की भी शुरूआत की गयी। इससे लोक संगीत के विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन के लिए नियमित मंच प्राप्त हो सकेगा, जो मूल्यांकन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगा। संयोग ऐसा बना कि उधर कुलपति लोक संगीत के क्षेत्र में किए गए अपने उल्लेखनीय कार्यों के लिए संगीत नाटक अकादमी के प्रतिष्ठित पुरस्कार की सूची में चयनित हुईं, और इधर लोक संगीत के विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच की शुरूआत हुई। इस संयोगपूर्ण अवसर को लोक संगीत विभाग के विद्यार्थियों ने अपनी प्रस्तुतियों से और भी दिलचस्प बना दिया। प्रसन्नता और गौरव के सुखद वातावरण में कुलपति डॉ चंद्राकर का सम्मान किया गया।

विभाग के डीन डॉ. योगेंद्र चौबे ने कुलपति डॉ चंद्राकर को परफॉर्मिंग आर्ट की साक्षात उदाहरण निरूपित करते हुए कहा कि कला के विद्यार्थियों को उनसे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कला चौपाल शुरू करने के उद्देश्य को विस्तार से बताया। कुलसचिव प्रो डॉ आईडी तिवारी ने अपने संक्षिप्त उदबोधन  में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार समेत अनेक उपलब्धियों से विश्वविद्यालय के साथ-साथ पूरे छत्तीसगढ़ को हर्ष और गौरव की अनुभूति देने के लिए कुलपति डॉ मोक्षदा (ममता) चंद्राकर के प्रति आभार व्यक्त किया। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार की घोषणा के बाद पहली बार स्टूडेंट्स को संबोधित कर रहीं कुलपति डॉ ममता चंद्राकर ने अपनी उपलब्धि का श्रेय माता-पिता, परिवार, छत्तीसगढ़ के समस्त दर्शकों और श्रोताओं को दिया। उन्होंने कहा कि मैं इस पुरस्कार को अपने दिवंगत भाई और आल इंडिया रेडियो के सुप्रसिद्ध एनाउंसर रहे स्व. लाल रामकुमार सिंह को समर्पित करती हूँ। यह संयोग है कि स्व लाल रामकुमार सिंह जिस खैरागढ़ की धरती के निवासी थे, उसी धरती पर कला-संगीत की सेवा करते हुए मुझे यह पुरस्कार मिलने जा रहा है।

कुलपति ने लोकसंगीत विभाग द्वारा शुरू किये गए कला चौपाल की प्रशंसा की। उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से अपील की, कि वे सपने देखें, सपनों को पूरा करने के लिए जी-तोड़ मेहनत करें। उन्होंने कहा कि परफार्मिंग आर्टिस्ट के भीतर कभी-कभी भय का होना जरूरी होता है, इससे अति आत्मविश्वास से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि परफार्मिंग आर्टिस्ट को अपना आत्मविश्वास बनाये रखने के लिए लगातार अभ्यास करना चाहिए।

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