November 24, 2024

जिले में ध्वनि प्रदूषण पर डीजे ने दिखाए सख्त तेवर

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रायपुर

लगातार तेज डीजे से हो रहे ध्वनि प्रदूषण के मामले में आज ध्वनि को लेकर जिला एवं सत्र न्यायाधीश माननीय संतोष शर्मा ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा कि जिले में किसी भी प्रकार का तेज ध्वनि प्रदूषण स्वीकार्य नहीं होगा, यदि इसका उल्लंघन किए जाने पर सख्ती के साथ कार्रवाई करने के निर्देश और हिदायत उन्होंने जिला पुलिस प्रशासन को दी हैं। शिकायत मिलने पर तत्काल कार्रवाई करने कहा हैं।

उल्लेखनीय हैं कि 22-23 नवम्बर 2022 की दरम्यानी रात थाना सिविल लाईन एवं गोल बाजार क्षेत्र में माननीय उच्चतम न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जारी दिशा निर्देश एवं नियमों का उल्लंघन करते हुए डीजे. के संचालकों एवं आयोजकों ने ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग किया जिससे जन सामान्य को ध्वनी प्रदूषण के कारण समस्याओं का सामना करना पड़ा।  इस पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर में विधि छात्र-छात्रओं ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री संतोष शर्मा को लिखित आवेदन देकर संचालकों तथा आयोजकों पर कठोर कार्यवाही किए जाने हेतु आवेदन पेश किया जिस पर जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर माननीय श्री संतोष शर्मा द्वारा तत्काल संज्ञान लेते हुए कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक तथा संबंधित थाना प्रभारी को निर्देश जारी कर संबंधितों के विरूद्ध कार्यवाही करते हुए की गयी कार्यवाही से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रायपुर को अवगत कराने हेतु निर्देश दिया गया है। जिला प्रशासन तथा पुलिस प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि, उक्त व्यक्तियों के विरूद्ध कठोर से कठोर कार्यवाही नियमानुसार की जाएगी। इसके अतिरिक्त जिला न्यायाधीश द्वारा यह भी निर्देश दिया गया है कि, संपूर्ण जिले में माननीय उच्चतम न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय तथा कोलाहल अधिनियम का कठोरता से पालन सुनिश्चित कराया जावे। ये जिले का पहला ऐसा मामला है, जिस पर जिला न्याय पालिका के मुखिया द्वारा मामले का संज्ञान लेकर कार्यवाही किए जाने निर्देश दिया है।

जिला न्यायाधीश माननीय श्री संतोष शर्मा द्वारा बताया गया कि, माननीय उच्चतम न्यायालय ,माननीय उच्च न्यायालय के समय-समय पर निर्देश ध्वनी प्रदूषण के संबंध में होने के साथ साथ छत्तीसगढ़ कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 (2) (क) के तहत तीव्र संगीत जैसे बैण्ड, बेग-पाइप क्लेरियोनेट शहनाई ड्रम, बिगुल, ढाल, डफ, डफड़ा, नगाड़ा, ताशा या झांझ पर या उससे निकाली गयी हो और उसमें कोई ऐसी तीव्र ध्वनि भी सम्मिलित है जो किसी अन्य वाद्य या साधन द्वारा निकाली गयी हो को सम्मिलित किया गया है। छत्तीसगढ़ कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 की कंडिका (15) (1) के अनुसार जो कोई, इस अधिनियम के या उसके अधीन बनाये गये नियमों के उपबंधों का उल्लंघन करेगा या उल्लंघन करने का प्रयत्न करेगा या उल्लंघन किये जाने का दुष्प्रेरण करेगा, वह कारावास से, जिसकी अवधि छ:माह तक की हो सकेगी, या जुमार्ने से, जो एक हजार रुपए तक हो सकेगा, या दोनों से दण्डित किया जाएगा। एवम् कंडिका (17) के तहत कतिपय दशाओं में ध्वनि विस्तारक के समपहरण का आदेश देने की शक्ति में अपराध का विचारण करने वाला न्यायालय, दोषसिद्धि पर, उस ध्वनि विस्तारक को सरकार के पक्ष में, समपहृत किये जाने का आदेश दे सकेंगे तथा अधिनियम की कंडिका (18) के तहत कोलाहल प्रतिबंधित क्षेत्र (साइलेंस जोन) घोषित करने की शक्ति में जिला मजिस्टेऊट, जहां कि वह लोक हित में ऐसी कार्यवाही करना आवश्यक समझता है, लेखबद्ध किये जाने वाले कारणों से, सभी प्रकार के कोलाहल का ऐसी कालावधि तथा समय के लिए, जैसा कि विनिर्दिष्ट किया जाए, प्रतिषेध करते हुए कोलाहल प्रतिबंधित क्षेत्र (जोन्स आॅफ साइलेन्स) विनिर्दिष्ट कर सकेगा लेख किया गया है।

जिला न्यायाधीश द्वारा कहा गया कि, जिस प्रकार शिक्षक कक्षा में कोलाहल अर्थात चिल्लाने वाले विद्यार्थियों को कक्षा से बाहर करके दण्ड़ देता है, उसी प्रकार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं  जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन मिलकर ध्वनी प्रदूषण अर्थात कोलाहल फैलाने वाले व्यक्तियों को सजा देने का कार्य करेगा । जिला न्यायाधीश द्वारा कहा गया कि, किसी कार्यक्रम का सौंदर्य, बोध, सांस्कृतिक एवं भारतीय वाद्य यंत्रों के माध्यम से विनम्रता एवं कर्ण प्रियता के माध्यम से भी किया जा सकता है और जिला रायपुर में किसी भी प्रकार का कोलाहल स्वीकार्य नहीं होगा। जिला न्यायाधीश द्वारा आम जनता से अपील भी की गयी है कि, यदि किसी प्रकार की ऐसी कोई घटना होती है तो उसकी सूचना तत्काल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन को प्रदान कर सकते है जिस पर शीघ्रता से कार्यवाही की जाएगी।

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