November 24, 2024

‘अमे मोदी साहेब नू मान रक्षू’, गुजरात में PM का जलवा बरकरार 

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गांधीनगर
गुजरात में प्रचार का दौर थम चुका है। बीते दो महीनों में राजनीति के दिग्गजों ने अपने दलों के लिए जमकर मेहनत की, लेकिन इन सभी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील गुजरात के लोगों के बीच अलग जगह रखती है। चुनाव में अब कांग्रेस ही नहीं भारतीय जनता पार्टी के लिए आम आदमी पार्टी भी चुनौती पेश कर रही है। इसके बावजूद 'मोदी मैजिक' बरकार है। विस्तार से समझते हैं।

दिल्ली का रास्ता तय करने से पहले मोदी ने साल 2001 से लेकर 2014 तक मुख्यमंत्री के तौर पर गुजरात की कमान संभाली। 8 साल बीतने के बाद भी प्रदेश की राजनीति में मोदी का चेहरा ही सबसे बड़ा नजर आता है। रैलियों से नेताओं के बयानों तक उनका जिक्र आम है। खुद पीएम मोदी भी रैलियों के जरिए राज्य में मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं।

नेताओं को चुकानी पड़ी बयानबाजी की कीमत
पीएम मोदी पर निशाना साधना भी राजनीतिक दलों को नुकसान पहुंचा सकता है। इसके संकेत साल 2007 में नजर आए, जब कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें 'मौत का सौदागर' कह दिया था। इसके 5 साल बाद कांग्रेस के एक और दिग्गज नेता रहे मणिशंकर अय्यर के 'नीच' बयान का काफी असर हुआ। अब भाजपा नेताओं का मानना है कि आप के गुजरात प्रमुख गोपाल इटालिया की तरफ से पीएम मोदी और उनकी मां को लेकर की गई कथित टिप्पणी ने भी आप को नुकसान पहुंचाया है।

क्या कहते हैं नेता
गुजरात में भाजपा के प्रचार में शामिल एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, 'वतन की बात आती है, तो गुजरातियों सोच और नजरिया बदल जाता है। महात्मा गांधीजी और सरदार पटेल के बाद लोगों के मन में राज्य से किसी राष्ट्रीय कद के नेता को देखने की इच्छा थी। मोदीजी को यह अहसास था और उन्होंने इसपर साल 2002 से काम किया…।'

जनता की राय
अखबार के अनुसार, आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य को लेकर जनता की जो भी राय हो, लेकिन पूरे गुजरात में एक भावना बनी हुई है कि 'मोदी जी को शर्मिंदा नहीं कर सकते।' काठपुर गांव की चंपाबेन कहती हैं, 'हमारे पास घर नहीं है। जब भी हम आवास योजना के तहत मांग करते हैं, तो स्थानीय सरपंच हमारी याचिका खारिज करते हैं और अपने साथियों की मदद करते हैं। हमारे गांव में स्वास्थ्य केंद्र नहीं है और न ही बच्चों के लिए 5वीं के बाद स्कूल है… पन अमे मोदी साहेब नू मान रक्षू।' गडु कांपा गांव के पूर्व सरपंच रविंद्रभाई पटेल साल 1995 तक कांग्रेस के समर्थक थे। उन्होंने कहा, 'गुजरात को आगे देखने का गर्व और हिंदू पहचान और सम्मान की रक्षा करने का मिश्रण था। सभी जानते हैं कि आज गुजरात जो भी है, मोदीजी की वजह से है।' उन्होंने कहा, 'मैं इसलिए निकल आया क्योंकि कांग्रेस में गुटबाजी थी, तुष्टिकरण की राजनीति करती थी और सांप्रदायिक कार्ड खेलती थी। भाजपा का रुख विकास की ओर था…। भाजपा के राज में गुजरात के गांवों को पानी और बिजली मिलना शुरू हुआ। हर गांव सड़कों से जुड़ा है। जो गुजरात हम आज देख रहे हैं, वह मोदीजी की बदौलत है।'

उनके भतीजे रघुभाई पटेल भी भाजपा के साथ की बात करते हैं। साथ ही वह आप को भाजपा के लिए खतरा नहीं मानते। उनका कहना है, 'वे कई वादे करने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ आदिवासी प्रभावित हो सकते हैं, लेकिन शिक्षित अरविंद केजरीवाल पर भरोसा नहीं करेंगे।' उन्होंने कहा कि पिछड़ों का वर्ग कांग्रेस के लिए मतदान करना जारी रखेगा।

34 वर्षीय किसान रघु का कहना है, 'भले ही मोदी कुछ और नहीं करें, लेकिन मैं उन्हें वोट दूंगा, क्योंकि मैं उन्हें नीचा नहीं दिखा सकता।' उनके पड़ोसी प्रभुभआई भी मोदी के कामों की तारीफ करते हैं। वह विशेष रूप से आयुष्मान भारत योजना का जिक्र करते हैं, जिसके तहत उन्हें आर्थिक मदद मिली। प्रभुभाई की बेटी दिशा और उनके पति बृजेश चौधरी बच्चियों के लिए मोदी के कामों का जिक्र करते हैं। दिशा ने कहा, 'गर्भावस्था के दौरान मुझे पूरी मदद मिली।'
 

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