Balod जिले में धधक रही अवैध कोयले की भट्टियां, वन विभाग बेखबर, काट रहे हरे-भरे पेड़
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में कोयला बनाने के लिए हरे भरे पेड़ों की बलि दी जा रही है। जिले में पहले की अवैध लकड़ी की कटाई और बिक्री का खेल चल रहा है। बालोद जिले के ग्राम जुगेरा में इसी तरह अवैध कोयले कि भट्टी धधक रही है। और इसके लिए हरे पेड़ों की कटाई भी की जा रही है। इस पूरे घटना क्रम से जिले का वन विभाग पूरी तरह बेखबर है। पेड़ों की कटाई से वन विभाग बेखबर बालोद क्षेत्र में वन और पर्यावरण विभाग की सक्रियता का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यहां हरे पेड़ पौधे धड़ल्ले से काटे जा रहे है। इसका उपयोग जुगेरा में कोयला बनाने के लिए किया जा रहा हैं। आसपास के गांव से कम दामों में हरे पेड़ों को खरीदकर भट्टी में खपाया जा रहा हैं।
स्थानीय लोगो के अनुसार सैकड़ों क्विटल लकड़ी भट्टी में प्रयोग की जाती है। फिर उसी लकड़ी को जलाकर कोयला बनाकर ऊंचे दामों में बाहर ले जाकर बेंचा जाता है। कोयला बनाने के लिए लकड़ी का कोयला बनाने के लिए गीली लकड़ी सबसे बेहतर होती है। ऐसे में हरे-भरे पेड़ों से लकड़ियां काटकर उपयोग करते हैं।
जुगेरा में संचालित है अवैध कोयला भट्टी बालोद जिला मुख्यालय से 3 किमी दूरी पर स्थित ग्राम जुगेरा में कोयले का काला कारोबार बेखौफ चल रहा है। बंजारी मन्दिर के पीछे खेतों में कोयले की अवैध भट्टी चल रही है। यहां रोजाना सैकड़ों बबूल व अन्य हरे वृक्षों की लकड़ियाें को भट्टियों में डाल कर सैकड़ों टन कोयला निकाला जा रहा है। कोयला माफियाओं के खिलाफ पंचायत, पुलिस व प्रशासन ने ही अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।