शर्मनाक: रिम्स में जिंदा महिला मरीज को मृत घोषित किया, इलाज के अभाव में 7.5 घंटे बाद हुई मौत
नई दिल्ली
रिम्स में अव्यवस्था की खबरें रोज सुर्खियां बनती हैं। बुधवार को लापरवाही और अव्यवस्था यहां चरम पर पहुंच गई। जिंदा महिला मरीज को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। उनके परिजनों ने आरोप लगाया कि मरने के 7.25 घंटे पहले ही बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट दे दिया गया। जबकि मरीज की सांसें चल रही थीं। शाम साढ़े 4 बजे उनकी मौत हुई। इन 7.25 घंटे के दौरान रिम्स प्रबंधन अपनी गलतियां छिपाने में लगा रहा। अगर इस दौरान भी मरीज को बेहतर इलाज मिलता तो जान बच सकती थी। मरीज के पति दिनेश साव ने बताया कि सुबह में मरीज को स्थिर बताया और थोड़ी ही देर में मृत बताकर डेड बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट दे दिया गया। फिर डॉक्टरों ने धड़कनें चलने की बात कहीं और शाम में दोबारा मृत बता दिया।
सर्जरी विभाग में भर्ती थीं हजारीबाग की अंशु देवी
दरअसल, हजारीबाग के सिरका की 36 वर्षीया अंशु देवी को रिम्स के सर्जरी विभाग में भर्ती किया गया था। उन्हें पित्त की थैली में पथरी की शिकायत थी। वह यहां आईसीयू में वेंटिलेटर पर थी। रिम्स के रिकॉर्ड के अनुसार उन्हें पहले से ही हार्ट से जुड़ी परेशानी भी थी। परिजनों का आरोप है कि जब मरीज को मृत बताकर उन्हें 9.15 बजे कैरिंग सर्टिफिकेट दिया गया तब उन्होंने देखा कि सांसें चल रही हैं। रेजीडेंट डॉक्टरों ने भी सांस चलने की बात स्वीकारी। इसके बाद 7.25 घंटे तक मरीज का इलाज किया गया। फिर शाम 430 बजे उसे मृत घोषित कर दिया गया। पहले दिए बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट में ही समय बदल कर 4.30 बजे करते हुए दोबारा इसे दे दिया गया।
डॉक्टरों ने बिना ईसीजी किए ही घोषित किया मृत
रिम्स के पीआरओ डॉ राजीव रंजन का कहना है कि इलाज करने वाले डॉक्टर ने मरीज को देखकर मौखिक रूप से मृत होने की सूचना दे दी थी। लेकिन ईसीजी जांच करने के बाद शाम को मृत होने की घोषणा की गई। तब बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट दिया गया। पर, परिजनों ने इस दौरान कई लापरवाहियां उजागर की हैं और इसे ही मौत का कारण बताया। परिजनों ने बताया कि पहली बार मृत घोषित के बाद भी 7.25 घंटे मरीज बेड पर रहीं। इस दौरान न तो जांच हुई और न ही दवाइयां चलीं। रेजीडेंट डॉक्टरों ने कहा था कि ईसीजी और इको करेंगे, पर क्यों नहीं की?
परिजनों ने इलाज में लापरवाही का लगाया आरोप
परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि महिला को बेहतर इलाज नहीं मिला। पहली बार मृत घोषित किए जाने के बाद इलाज की जगह गलतियां छुपाने में लगे रहे। पहली बार मृत घोषित करने के बाद बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट जारी किया। दूसरी बार मृत घोषित किए जाने के बाद भी बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट जारी किया। पुराने सर्टिफिकेट में ही डेट बदल दिया गया। पहली बार मौत की घोषणा होने पर सुबह 915 बजे बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट जारी किया गया। फिर 725 घंटे बाद दूसरी बार जब मृत बताया तो फिर सर्टिफिकेट में समय बदलकर परिजनों को थमा दिया।