26/11 हमले को लेकर पूर्व कैबिनेट सचिव ने की सरकार की आलोचना, कहा- नहीं थी कोई स्पष्टता
नई दिल्ली
साल 2008 में पाकिस्तानी आतंकवादियों में मुंबई के ताज होटल और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस सहित अलग-अलग जगहों पर हमला कर पूरे भारत को दहला दिया था। इस हमले में कई लोगों की जान चली गई थी। इस हमले ने सरकार के द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर किए गए दावों को भी झकझोर दिया था। अब तत्कालीन कैबिनेट सचिव केएम चंद्रशेखर ने इस हमले से निपटने को लेकर तत्कालीन यूपीए सरकार की नीतियों की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जब मुंबई में आतंकवादियों ने हमला किया तो केंद्र सरकार के स्तर पर इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं थी कि कौन क्या करेगा। चंद्रशेखर ने अपनी किताब 'एज गुड एज माई वर्ड' में यह बात कही है।
पूर्व कैबिनेट सचिव ने 1998 में बनाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के पद की तो सराहना की। साथ ही यह भी कहा कि उस समय की केंद्र सरकार ने एनएसए और कैबिनेट सचिव के बीच सत्ता की जिम्मेदारियों को बांटने का विकल्प चुना। उन्होंने अपनी किताब में लिखा, "यह वजह है कि सुरक्षा से संबंधित मामलों के प्रबंधन में भूमिकाओं को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हुई।"
चंद्रशेखर ने लिखा, "26/11 के हमलों ने एक गंभीर आपात स्थिति में निर्णय लेने में उच्चतम स्तर पर कमजोरी को भी उजागर किया।" देश के पूर्व कैबिनेट सचिव लिखते हैं, ''गृह मंत्रालय और सशस्त्र बलों की खुफिया एजेंसियां आमतौर पर कैबिनेट सचिव को इससे जुड़ी जानकारी नहीं देती हैं। केवल गृह मंत्रालय या रक्षा मंत्रालय या एनएसए को इसके बारे में बताती है। पर्याप्त और समय पर जानकारी के बिना कैबिनेट सचिव संकट की स्थितियों से निपटने में असमर्थ होते हैं।''
उन्होंने अपनी किताब में कहा है, ''जब 26/11 को आतंकवादी हमला हुआ तो इस बात की कोई स्पष्टता नहीं थी कि केंद्रीय स्तर पर कौन क्या करेगा। भारत के संवंधिना के मुताबिक, कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है। राज्य सरकार के अनुरोध पर ही केंद्रीय हस्तक्षेप की बात आती है। इस अधिनियम से भी भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। मेरे पास कोई पृष्ठभूमि की जानकारी नहीं थी और ना ही कोई खुफिया जानकारी थी। यहां तक कि देर रात तक मुंबई में वास्तव में क्या हो रहा था, इसकी भी पूरी जानकारी नहीं थी। मुझे राज्य सरकार की क्षमता के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी, जैसा कि आमतौर पर ऐसी सभी घटनाओं में होता है।''