September 24, 2024

10 करोड़ का मेंटेनेंस करा, अब NH के हवाले करेंगे BRTS

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 भोपाल

करीब 6 महीने पहले 10 करोड़ की लागत से बीआरटीएस का मेंटेनेंस नगर निगम द्वारा करवाया गया था। 13 साल में बीआरटीएस पर करीब 450 करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके हैं। इस बीआरटीएस को अब नगर निगम नेशनल हाइवे (एनएच) के हवाल करने जा रहा है।

इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बीआरटीएस के नाम पर नगर निगम में कितना बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा था। हाल ही में कराए गए मेंटेनेंस के बारे में बताया जा रहा है कि निगम के चीफ सिटी इंजीनियर पीके जैन के ठेकेदार शुक्ला बिल्डर को बीआरटीएस कॉरिडोर के मेंटेनेंस का ठेका दिया गया था। अब सवाल यह उठता है कि जब बीआरटीएस को एनएच के हवाले करना था तो फिर इसके मेंटेनेंस पर इतनी मोटी रकम क्यों खर्च की गई? इसका जवाब जैन के पास नहीं है। जैन का कहना है कि जो निर्देश मिलते हैं। हम उसका पालन करते हैं। जबकि हकीकत यह नहीं है, चीफ सिटी इंजीनियर को मालूूम था कि बीआरटीएस एनएच के हवाले किया जाना है। यह प्रोसेस लंबे समय से चल रही थी, लेकिन कमीशन के चलते जानबूझकर बीआरटीएस का मेंटेनेंस करवाया गया।

इंजीनियर-ठेकेदार से सांठगांठ?
नगर निगम में इंजीनियर और ठेकेदारों की मिलीभगत कोई आम बात नहीं है। दरअसल भोपाल के प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह भी बीआरटीएस को लेकर बयान दे चुके थे कि इसे रहना है या हटाया जाना है। इसके बाद भी इंजीनियर ने ठेकेदारों को 10 करोड़ मेंटेनेंस के लिए दिए।

ट्रैफिक में बाधा है बीआरटीएस
शहर के ट्रैफिक के लिए बीआरटीएस लंबे समय से बाधा बना हुआ है। इसको हटाए जाने की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है। मिसरोद से लेकर संत हिरदाराम नगर तक बीआरटीएस कॉरिडोर के कारण हजारों बार ट्रैफिक जाम होता है। इसके चलते बीआरटीएस को खत्म करने की मांग शहरवासी लंबे समय से कर रहे हैं।

साल दर साल खर्च होते रहे रुपये
बीआरटीएस 2009 में बनना शुरू हुआ था। 2011 में लालघाटी चौराहा और वीर सावरकर सेतु से बोर्ड आफिस चौराहे तक बीआरटीएस की डेडिकेटेड लेन बना दी गई। बीआरटीएस की शुरूआत 2011 में शहर में 247 करोड़ रुपए से हुई थी। इस प्रोजेक्ट में अब तक 450 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। यानी 10 सालों में विभिन्न एजेंसियां ने 203 करोड़ के आसपास मेंटेनेंस पर खर्च कर दिया। बीआरटीएस कारिडोर के निर्माण के समय लागत एक किमी पर 12 करोड़ आई थी।

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