September 25, 2024

भारत के द्वारा रूस से सस्ता तेल खरीदने पर, यूक्रेन विदेश मंत्री ने जताई नाराज़गी

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कीव

यूक्रेन (Ukraine) के विदेश मंत्री ने सस्ता रूसी तेल (Russian Oil) खरीदने के लिए भारत (India) से नाराज़गी जताते हुए इसे "नैतिक तौर पर अनुचित" कहा है. बात करते हुए दमित्रो कुलेबा (Dmytro Kuleba) ने कहा कि भारत के लिए सस्ते दाम पर रूसी तेल खरीदने का अवसर इससे जुड़ा है कि यूक्रेनी रूसी आक्रामकता झेल रहे हैं और हर दिन मर रहे हैं." कुलेबा ने कहा, "अगर आप हमारे कष्टों से फायदा उठा रहे तो तो आपको आपको हमारी अधिक मदद करनी चाहिए."

कुलेबा  भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दे रहे थे कि इस साल फरवरी से नवंबर तक, यूरोपीय यूनियन ने रूस से जितना कच्चा तेल खरीदा है उतना अगले 10 देशों ने कुल मिलाकर नहीं खरीदा.   

यूक्रेन के विदेश मंत्री ने कहा, "यूरोपीय संघ की ओर उंगली उठा कर यह कहना काफी नहीं होगा कि अरे, वो भी तो वही कर रहे हैं."

कुलेबा के अनुसार, भारत का सस्ता रूसी तेल खरीदने का फैसला यूक्रेन की मानवीय पीड़ा के चश्मे से देखा जाना चाहिए.

यूक्रेन के विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि भारत को, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को, इस युद्ध को खत्म करने में मदद करने की एक बड़ी भूमिका निभानी होगी.

कुलेबा ने कहा, " भारत वैश्विक परिदृष्य में एक महत्वपूर्ण देश है, और भारत के प्रधानमंत्र, बदलाव ला सकते हैं. हम उल पल का इंतजार कर रहे हैं जब भारतीय विदेश नीति सच को सच कहेगी और इसे 'यूक्रेन में युद्ध' नहीं कहेगी बल्कि इसे साफ तौर पर 'यूक्रेन के खिलाफ रूसी आक्रामकता' कहेगी"  

भारत के रूस के साथ करीबी रणनीतिक संबंध हैं औऱ भारत संयुक्त राष्ट्र में बार-बार यूक्रेन के मुद्दे पर  रूस के खिलाफ मतदान से बचता रहा है. रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी 2022 को हमला कर यूक्रेन के एक बड़े पूर्वी और दक्षिणी भूभाग पर कब्जा कर लिया था. यूक्रेन के जवाबी पलटवार में रूस को इस इलाके से पीछे हटना पड़ा. पिछले कुछ हफ्तों में यूक्रेन ने खेरसॉन भी वापस अपने कब्जे में ले लिया है.  

दमित्रो ने कहा कि यूक्रेन इन सर्दियों में भी अपना प्रयास जारी रखेगा. उन्होंने कहा, एक दिन भी रुकने का मतलब है, रूसियों को यूक्रेन में अपने पैर जमाने का मौका देना. पिछले कुछ हफ्तों से यूक्रेन का नागरिग ढ़ांचा, बिजलीघर रूसी ड्रोन हमलों की मार झेल रहे हैं.  

कुलेबा ने कहा, हमारी दिक्कत यह है कि हमारी बिजली की ग्रिड सोवियत ज़माने की बनी है और रूस के पास हमारे ऊर्जा ढांचे के सभी अहम नक्शे (Map) हैं." 

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