September 25, 2024

वित्तीय वर्ष 2023-24 गाइडलाइन में प्रॉपर्टी की दरें तय करने का मसौदा तैयार

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भोपाल

वित्तीय वर्ष 2023-24 की नई प्रस्तावित कलेक्टर गाइडलाइन में प्रॉपर्टी की दरें तय करने के लिए पंजीयन मुख्यालय ने शेड्यूल जारी कर दिया है। इसके तहत 10 मार्च तक प्रस्तावित कलेक्टर गाइडलाइन का मसौदा तैयार करना होगा। साथ ही जिला मूल्यांकन समिति से अनुमोदन कराने के बाद केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड को भेजना होगा। गौरतलब है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में लगभग 400 लोकेशन पर पांच से 20 प्रतिशत प्रॉपर्टी की दरें बढ़ाई गई थी। अब एक बार फिर से प्रापर्टी की दरें बढ़ाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं।

ऐसे चलेगी प्रॉपर्टी की दरें तय करने की प्रक्रिया

  • 15 जनवरी तक उप पंजीयक द्वारा उप जिला मूल्यांकन समिति का अनुमोदन प्राप्त कर जिले की गाइडलाइन के प्रस्ताव को जिला मूल्यांकन समिति को भेजना है।
  • 30 जनवरी तक जिला पंजीयक द्वारा जिले की एक-एक लोकेशन के रेट तय कर जिला मूल्यांकन समिति से अनुमोदन कराने के साथ गाइडलाइन का प्रारंभिक प्रकाशन कराना होगा।
  • 15 फरवरी तक आम जनता से सुझाव और दावे आपत्ति प्राप्त करने होंगे।
  • 28 फरवरी तक जनता की तरफ से प्राप्त सुझावों का निराकरण कर जिला मूल्यांकन समिति का अंतिम अनुमोदन कराना होगा।
  • 10 मार्च तक जिला मूल्यांकन समिति से अनुमोदन प्राप्त करने के बाद प्रस्तावित गाइडलाइन को केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड को भेजना होगा।
  • 31 मार्च तक केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड के अनुमोदन के बाद नई गाइडलाइन वर्ष 2023-24 जारी की जाएगी।

अवैध कॉलोनियों की भवन अनुज्ञा में NOC का अड़ंगा
अवैध कॉलोनियों की भवन अनुज्ञा में लंबे समय से एनओसी का अडंगा लगा हुआ है। इसके चलते चिन्हित 207 अवैध कॉलोनियों के लोगों को भवन अनुज्ञा नहीं मिल रही है। अवैध कॉलोनियों से दो माह में अनुज्ञा के 718 आवेदन निरस्त हो चुके हैं। 80 फीसदी में नजूल एनओसी नहीं होने के कारण बताया गया है। ये आवेदन आगे नहीं बढ़ने के कारण लोग बिना अनुज्ञा ही निर्माण कर रहे हैं। अवैध कॉलोनियों में अनुज्ञा के लिए आनलाइन आवेदन तो जमा हो रहे हैं, लेकिन वे ड्राफ्टमैन के स्तर पर ही अटक जाते हैं। यहां से किसी तरह फाइल आगे बढ़ती हैं तो फिर इंजीनियर इन्हें आगे नहीं बढ़ाते। ज्ञात हो कि भोपाल में 2016 से अवैध कॉलोनी में अनुज्ञा बंद की हुई थी। जो अब शुरू हुई, लेकिन ये भी नजूल में अटक रही है। निगमायुक्त केवीएस चौधरी के सामने भी ये मामला पहुंचा था और उन्होंने भी अनुज्ञा देने के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन अब तक अनुज्ञाएं नहीं दी जा रही। अनुज्ञा आनलाइन सॉफ्टवेयर एबीपीएस पार्ट के तहत दी जानी है। इसमें अवैध और अवैध के लिए अलग से कंसोल नहीं है।

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