Gujarat Result: गुजरात में पंजाब स्टाइल में हुई केजरीवाल की एंट्री, कैसे कांग्रेस की सेहत के लिए हानिकारक है
नई दिल्ली
गुजरात विधानसभा चुनाव में पांच सीटें और 12 फीसदी से अधिक वोट शेयर हासिल करके आम आदमी पार्टी ने राज्य में एंट्री ले ली है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली 'आप' ने कांग्रेस को बड़ा नुकसान पहुंचाया है और ज्यादातर सीटों पर वोट काटे हैं। 2017 के मुकाबले कांग्रेस का वोट शेयर भी 42 फीसदी से घटकर 27 फीसदी पर आ गया। आम आदमी पार्टी ने पहली बार गुजरात में तेज-तर्रार तरीके से चुनाव लड़ा है, जिसकी वजह से 12 फीसदी वोट हासिल करना बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। पार्टी बनने के दस साल के भीतर ही आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी भी बन गई है। गुजरात चुनाव में 'आप' ने एंट्री ठीक उसी तरह से की है, जैसी साल 2017 में पंजाब में की थी। 2017 में पहली बार पंजाब चुनाव लड़ने वाली केजरीवाल की पार्टी ने 20 सीटें हासिल करते हुए मुख्य विपक्ष की भूमिका हासिल कर ली थी। हालांकि, गुजरात में वह कांग्रेस से मुख्य विपक्ष का दर्जा तो नहीं छीन सकी, लेकिन चुनावी जानकारी बताते हैं कि 12 फीसदी वोट हासिल करने की वजह से आने वाले समय में कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकती है।
पंजाब से क्यों जोड़ा जा रहा 'आप' का गुजरात का प्रदर्शन?
आम आदमी पार्टी के गठन से ही दिल्ली के बाद जिस राज्य में सबसे ज्यादा फोकस था, वह पंजाब ही था। साल 2014 में देशभर में लोकसभा चुनाव लड़ने वाली 'आप' को पंजाब से 4 सीटें आई थीं। इसके बाद ही माना जाने लगा था कि पंजाब में पार्टी की लोकप्रियता अन्य राज्यों के मुकाबले काफी अधिक है। यही वजह थी कि आम आदमी पार्टी ने 2017 का चुनाव पूरी ताकत से लड़ा। हालांकि, पहली बार पंजाब का चुनाव लड़ रही पार्टी पर जनता ने पूरी तरह से विश्वास नहीं जताया, लेकिन इसके बावजूद 20 सीटें और 23 फीसदी वोट हासिल करने में पार्टी कामयाब रही। नतीजों से उत्साहित AAP साल 2017 से 2022 तक के पांच सालों तक विधानसभा में कांग्रेस सरकार को घेरती रही और जनता के कई मुद्दे उठाती रही। यही वजह रही कि साल 2022 के पंजाब चुनाव में 'आप' की लहर चली और पार्टी ने 42.01 फीसदी वोट के साथ 92 सीटें हासिल कर लीं।
जानकार गुजरात चुनाव में भी 'आप' के प्रदर्शन को इसी तरह से देख रहे हैं। भले ही पार्टी की अभी पांच सीटें आई हों, लेकिन एक्सपर्ट मान रहे हैं कि विधानसभा में विधायकों के पहुंचने से पार्टी को जनता से कनेक्ट करने में काफी सहूलियत होगी। वे विधानसभा में उन मुद्दों को उठा सकेंगे, जो सीधे जनता से कनेक्ट होते हों। वहीं, आने वाले पांच सालों में आम आदमी पार्टी को अपने संगठन का भी गुजरात में विस्तार करने का मौका मिल जाएगा। इस दौरान कार्यकर्ताओं की संख्या और बढ़ाने के लिए पार्टी कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन कर सकती है।
गुजरात में 'आप' की एंट्री से कांग्रेस को नुकसान
पिछले कुछ सालों में एक के बाद एक कई राज्यों के हारने की वजह से कांग्रेस पहले की तुलना में काफी कमजोर हो गई है। गुजरात में भी पार्टी ने इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन किया। हालांकि, हिमाचल में जरूर सरकार बनाने में कामयाब हो गई, लेकिन पार्टी जल्द ही पहले वाले फॉर्म को पा लेगी, इसकी उम्मीद बेहद ही कम है। इसका सीधा फायदा आम आदमी पार्टी ने उठाया है। अरविंद केजरीवाल उन राज्यों पर फोकस कर रहे हैं, जहां-जहां कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है। वे 'आप' को कांग्रेस के विकल्प की तरह पेश करते हुए उसकी जगह ले रहे हैं। गुजरात में 12 फीसदी से अधिक वोट हासिल करना भविष्य में कांग्रेस के लिए नुकसान माना जा रहा है। आने वाले समय में कांग्रेस गुजरात में कोई बड़े कदम नहीं उठाती है तो अगले चुनाव में आम आदमी पार्टी की पूरी नजर उन पर होगी। वह गुजरात में कांग्रेस को और डेंट कर सकती है।
अन्य राज्यों में भी कांग्रेस का गेम बिगाड़ सकती है 'आप'
नतीजों से उत्साहित आम आदमी पार्टी अगले साल राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी उतरने की योजना बना सकती है। गुजरात, पंजाब, दिल्ली जैसे चुनावों पर नजर डालें तो इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है। दिल्ली में साल 2013 में जब पहली बार आम आदमी पार्टी ने चुनाव लड़ा तो कांग्रेस को ही सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया। 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में कांग्रेस को सिर्फ आठ सीटों पर समेट दिया। इसका असर यह रहा कि 1998 से 2013 तक 15 सालों तक राजधानी में एकतरफा राज करने वाली कांग्रेस लगभग पूरी तरह से गायब हो गई। वहीं, 2015 और 2020 के चुनाव में भी आम आदमी पार्टी ने सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस का ही किया।