September 25, 2024

सर्दी ने बदला जू के जानवरों का मिजाज! गुड़ खा रहा बंदर, भालू को मिल रहा शहद

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 गोरखपुर 
पूर्वी यूपी में सर्दी का सीजन शुरू हो गया है। तापमान 10 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच रहा है। लुढ़कते पारे के बीच गोरखपुर स्थित शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान के जानवरों की भी डाइट के साथ जीवनशैली बदल गई है। उन्हें गर्म कमरों में रखा जा रहा है। हीटर, ब्लोअर के साथ बाड़े में पर्दे लग गए हैं। साथ ही भोजन भी बदल गया है।

गोरखपुर चिड़ियाघर में भालू, बंदर, हिरण, शेर, बाघ, सांप, मगरमच्छ, घड़ियाल, पक्षी, हिप्पो और गैंडा हैं। हर प्रजाति को ठंड को ठंड से बचाने के लिए अलग-अलग इंतजाम किए गए हैं। सभी बाड़े में एयर वेंटीलेशन को ध्यान में रखते हुए पर्दे लगा दिए गए हैं। जिससे जानवरों को सीधी ठंडी हवाएं न लगे। मौसम को देखते हुए पक्षियों के बाड़े में पर्दे लगाए गए हैं। उनके बाड़े की ऊपर की खुली छत को ढक दिया गया है। हिरण, शेर, बाघ के बाड़े में पुआल भी रखा गया है। मगरमच्छ और घड़ियाल के तालाब का पानी लगातार बदला जा रहा है।
 
बदल गया है खानपान
चिड़ियाघर के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि इस सीजन में भालू को शहद की जरूरत सबसे ज्यादा रहती है। यह उसके शरीर को अंदर से गर्म रखता है। गैंडा-बंदरों को गुड़ और मूंगफली दी जा रही है। शेर और बाघ को अब रोजाना 12 किलोग्राम मीट दिया जा रहा है। जबकि पक्षियों को बजरी, ककून, सावां और धान दिया जा रहा है।

अब तीन हफ्ते में दिया जा रहा सांप, घड़ियाल को भोजन
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह बताया कि ठंडे खून वाले जानवर जैसे सांप, मगरमच्छ और घड़ियाल का भोजन घट गया है। यह जानवर शीतनिष्क्रियता की अवस्था में चले जाते हैं। इसे हाईबरनेशन कहते हैं। पहले उन्हें हफ्ते में एक बार भोजन दिया जाता था। अब उन्हें तीन हफ्ते में एक बार भोजन दिया जाता है।

तनाव दूर करने के लिए दी जा रही हैं दवाएं
डॉ. योगेश ने बताया कि सर्दी सीजन में जानवरों में तनाव बढ़ जाता है। उनका शरीर ठंड से लड़ने की कोशिश करता है। इस कारण से जानवर हमलावर भी हो जाते हैं। इसे दूर करने की दवाएं भी खाने के साथ दी जा रही हैं। यह दवाएं पानी में मिलाकर दिया जाता है।
 

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