राजधानी में 400 से ज्यादा सीवेज चैंबर खुले पड़े, प्रशासन को हादसे का इंतजार
भोपाल
राजधानी की सड़कों पर पैदल चलना खतरों से भरा है। हर प्रमुख सड़क पर चैंबर खुले पड़े हैं। कहीं सीवेज लाइन के, कहीं ड्रेनेज के तो कहीं बीआरटीएस की डक्ट के। कुछ चैंबर टूटे हैं तो कुछ के ढक्कन गायब। महीनों से यही हाल है। निगम के पास शहर की सड़कों के इन खुले चैंबरों को ढंकने के लिए कोई सिस्टम ही नहीं है। हर सवाल का एक ही जवाब यह हमारा काम नहीं है। अहम बात यह है कि इन खुले चैंबरों का 2019 के बाद से सर्वे नहीं हुआ है। पुरानी रिपोर्ट के आधार पर शहर में 400 से अधिक सीवेज चैंबर खुले हुए हैं। इनमें से 140 तो मुख्य सड़कों के किनारे हैं।
हादसे की बनी रहती आशंका
शहर में इतनी अधिक संख्या में सीवेज चैंबर खुले हुए हैं। इनसे हादसे की आशंका बनी रहती है। क्षेत्रीय लोग बताते हैं कि अक्सर मवेशी इन चैंबरों गिर जाते हैं। यदि किसी दिन कोई व्यक्ति गिर गया तो उसका बच पाना मुश्किल हो जाएगा।
क्यों नहीं ढंके जाते चैंबर
नगर निगम में सीवेज, ड्रेनेज, बीआरटीएस की अलग-अलग विंग है। वर्तमान नियमों के हिसाब से चैंबर का मेंटेनेंस भी उसी विंग की जिम्मेदारी है, लेकिन अफसर इन सड़कों पर कभी पैदल चलते ही नहीं, यही वजह है कि उन्हें ये ये खुले चैंबर नजर नहीं आते।
कहां कितने खुले चैंबर हकीकत
- पुल बोगदा से शाहजहांनाबाद तक 22 सीवेज चैंबर खुले हैं।
- भारत टॉकीज आरओबी के नीचे 3 चैंबर तीन साल से खुले हैं।
- भोपाल टॉकीज चौराहे पर पुलिस चौकी के पास 2 चैंबर।
- बैरसिया रोड पर 2 चैंबर।
- सिंधी कॉलोनी चौराहे से डीआईजी बंगला चौराहे तक 6 चैंबर।
- लोहा बाजार से मेन रोड पर ही 3 चैंबर खुले हैं।
- होशंगाबाद रोड पर आरआरएल से मिसरोद के बीच 30 चैंबर।
- आरआरएल से बीयू तक 10 चैंबर खुले।
- बीयू से मिसरोद के बीच 20 चैंबर खुले।