September 22, 2024

बिहान योजना से हो रहा पहाड़ी कोरवा एवं पण्डो परिवार का उत्थान

0

बलरामपुर
जिले के विकासखण्ड वाड्रफनगर और शंकरगढ़ मे संचालित बिहान योजनांतर्गत उत्थान परियोजना के माध्यम से पहाड़ी कोरवा और पण्डो समुदाय की महिलाएं स्व-सहायता समूह से जुड़कर स्वरोजगार प्राप्त कर अच्छे जीवन यापन की राह गढ़ रही है, क्षेत्र की महिलाओं में कौशल उन्नयन और व्यावसायिक गतिविधि भी जागृति हुई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा समाज के हर वर्ग तक न्याय पहुंचाने की रही है, खासकर ऐसे वर्ग जहाँ सरकार की बहुत सी योजनाओं का लाभ नही पहुंच पाया है योजनाओं को हितग्राहियों तक पहुंचाने हेतु छत्तीसगढ़ सरकार निरंतर नए प्रयास कर रही है। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में जिला प्रशासन के द्वारा बिहान के तहत् चलाये जा रहे उत्थान परियोजना के माध्यम से विशेष पिछड़ी जनजाति अंतर्गत आने वाले पण्डो एवं पहाड़ी कोरवा समुदाय के लोगों और महिलाओं की उन्नति के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं।

आधुनिकता की चकाचौंध जीवन से दूर ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत पहाड़ी कोरवा और पण्डो समुदाय के लोग सरल एवं सहज स्वभाव से जीवन यापन करते हैं। समय के साथ-साथ इनकी जनसंख्या भी कम होती जा रही है, इसलिए राज्य शासन द्वारा इन्हें संरक्षित और मुख्य धारा से जोड?े का कार्य किया जा रहा है। जिले में कलेक्टर विजय दयाराम के. के निर्देशन एवं जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती रीता यादव के मार्गदर्शन में बिहान द्वारा संचालित उत्थान परियोजना के माध्यम से पहाड़ी कोरवा और पण्डो समुदाय वाले गांवों में उपलब्ध संसाधनों का आंकलन कर उचित प्रबंधन तैयार करके समुदाय के लोगों को स्थाई आजीविका उपलब्ध कराया गया है, जिसमें जैविक कृषि, मुर्गी पालन, बकरी पालन, सुअर पालन एवं किराना दुकान के संचालन के माध्यम से जीविकोपार्जन कर रहे हैं। विकासखण्ड वाड्रफनगर में कुल 5 गांवों के लगभग 580 परिवार एवं विकासखण्ड़ शंकरगढ के 10 गांवों में लगभग 677 परिवारों को चिन्हांकित किया गया है, जिसमें कुल 4584 लोंगों को राशन, स्वास्थ्य, शिक्षा, बीमा और जाति प्रमाण पत्र समेत सभी शासकीय योजनाओं का लाभ दिलाने का कार्य किया जा रहा है साथ ही विशेष पिछड़ी जनजाति के परिवारों की सक्रिय महिलाओं को स्व-सहायता समूह से जोडकर इन्हें प्रशिक्षित भी किया गया है, ताकि वे वास्तविक परिस्थितियों के अनुरूप कार्य कर सकें और समुदाय की अन्य महिलाओं को आजीविका की आर्थिक गतिविधियों से जोडने का कार्य कर सकें।

बिहान के माध्यम से विशेष पिछड़ी जनजाति की महिलाओं को स्व-सहायता समूह के द्वारा चक्रिय निधि के तहत 15 हजार, सामुदायिक निवेश कोष से 60 हजार तथा बैंक लिंकेज के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, ताकि वे अपना स्वरोजगार खुद चुन सकें। विकासखण्ड वाड्रफनगर के ग्राम पंचायत विरेन्द्रनगर में संचालित सपना महिला स्व-सहायता समूह की सदस्य रजमन ने बताया कि लोन के माध्यम से उन्होंने मिनी राईस मिल खरीदा, जिससे कुटाई-पीसाई के माध्यम से उन्होंने अभी तक 15 हजार रुपए की अतिरिक्त आय प्राप्त किया है और अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed