पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को बड़ी राहत, भ्रष्टाचार केस में मिली जमानत, लेकिन फिर फंसा पेंच
मुंबई
बंबई हाईकोर्ट ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा की जा रही भ्रष्टाचार के एक मामले की जांच में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की जमानत याचिका पर सोमवार को आदेश दिया। कोर्ट ने अनिल देशमुख को जमानत दे दी है। हालांकि कुछ देर बाद कोर्ट ने बेल पर रोक भी लगा दी। कोर्ट ने जमानत को अब 10 दिनों के लिए रोक दिया है।
जस्टिस एमएस कार्णिक की सिंगल बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें पूरी करने के बाद पिछले सप्ताह याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। CBI की स्पेशल कोर्ट द्वारा पिछले महीने उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद 74 वर्षीय देशमुख ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने मेडिकल ग्राउंड के साथ-साथ मेरिट के आधार पर जमानत मांगी थी। जैसे ही जस्टिस कार्णिक ने अपना फैसला सुनाया, देशमुख के परिजन खुशी मनाने लगे। जस्टिस कार्णिक ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सीबीआई की मांग है कि इस मामले में एक हफ्ते का स्टे दे दिया जाए। इसके बाद कार्णिक ने कहा कि आदेश 10 दिनों बाद प्रभावी होगा।
जानिए क्या है पूरा मामला?
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता पिछले साल नवंबर से जेल में हैं। इसी साल अप्रैल में उन्हें CBI ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया था। अभी वो न्यायिक हिरासत में है और मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद है।
ईडी मामले में देशमुख को हाईकोर्ट ने पिछले महीने जमानत दी थी। हालांकि, भ्रष्टाचार के मामले में उनकी जमानत याचिका को सीबीआई की विशेष अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया सबूत हैं।
अपने आवेदन में देशमुख ने यह कहते हुए जमानत पर रिहा करने का अनुरोध किया कि वह कई बीमारियों से पीड़ित हैं और लगभग एक साल से जेल में हैं। वहीं, इस मामले की सुनवाई जल्द शुरू नहीं हो सकती है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि विशेष अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए सीबीआई के आरोप पत्र को केवल 'कट, कॉपी और पेस्ट' किया है।
IPS अधिकारी परम बीर सिंह ने लगाया था आरोप
IPS अधिकारी परम बीर सिंह ने मार्च 2021 में देशमुख पर आरोप लगाया था कि,तत्कालीन गृह मंत्री ने पुलिस अधिकारियों को मुंबई में रेस्तरां और बार से प्रति माह 100 करोड़ रुपये एकत्र करने का टार्गेट दिया था। मार्च 2021 में रिलायंस कंपनी के मालिक मुकेश अंबानी के घर 'एंटीलिया' बम कांड मामले में गिरफ्तार बर्खास्त सहायक पुलिस निरीक्षक(assistant police inspector) सचिन वाज़े ने भी इसी तरह के आरोप लगाए थे। अप्रैल 2021 में एचसी ने सीबीआई को सिंह के आरोपों की प्रारंभिक जांच (पीई) करने का निर्देश दिया।