जी7 और ईयू देशों की price cap का भारत ने किया विरोध,रूस ने मदद के लिए ‘दोस्त’ भारत को कहा ‘शुक्रिया’
मास्को
रूस और भारत की साझीदारी और दोस्ती यूक्रेन की जंग के साथ ही एक नए मुकाम पर है। रूस, भारत के उस फैसले से काफी खुश है जिसमें उसने जी7 देशों की तरफ से तेल की तय कीमत का विरोध किया है। रूस के उप-प्रधानमंत्री एलेंक्जेंडर नोवाक ने रूस में भारत के राजदूत पवन कपूर के साथ मुलाकात में एक बयान जारी कर फैसले पर खुशी जताई है। तीन दिसंबर को जी7 और यूरोपियन यूनियन इस बात पर रजामंद हुए थे कि रूस से आने वाले तेल को 60 डॉलर प्रति बैरल के हिसाब से खरीदा जाएगा। जाहिर तौर पर रूस ने इस कीमत को खारिज कर दिया है और पश्चिमी देशों को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी है।
रूस के तेल की तय कीमत
रूस के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, 'उप-प्रधानमंत्री ने भारत के फैसले का स्वागत किया है कि उसने जी7 देशों और उनके साथियों की तरफ से पांच दिसंबर को रूस के तेल पर तय की गई कीमत का समर्थन नहीं किया है।' नोवाक ने इस बात पर जोर दिया है कि रूस जिम्मेदारी के साथ ऊर्जा संसाधनों के लिए हुए करार की बाध्यताओं को पूरा कर रहा है। वह काफी जिम्मेदारी के साथ के बीच पूर्व और दक्षिण के देशों में मौजूद ऊर्जा संकट के बीच ही ऊर्जा निर्यात में विविधता ला रहा है। इससे पहले सितंबर में जी7 देश इस बात पर रजामंद हुए थे कि रूस से आने वाले तेल की एक कीमत तय कर दी जाए। रूस के विदेश मंत्रालय की तरफ बताया गया है कि भारत को निर्यात होने वाले तेल में 16.35 लाख टन का इजाफा इस साल के पहले आठ महीनों में हुआ है।
भारत जारी रखे है आयात
यूक्रेन के साथ जारी जंग के बाद भी भारत ने रूस से तेल आयात जारी रखा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर और भारत सरकार के कुछ और मंत्रियों ने इस कदम का हमेशा बचाव किया है। जी7 देशों की तरफ से तेल की कीमत का फैसला पांच दिसंबर को लागू कर दिया गया है। इस फैसले के साथ ही जी7 और यूरोपियन यूनियन स्थित इंश्योरेंस और री-इंश्योरेंस कंपनियां जो रूस से कच्चा तेल लेकर आने वाले टैंकर्स को सर्विसेज देती हैं और ऐसे वित्तीय संस्थान जो रूस के कच्चे तेल के लेनदेन को आसान बनाती हैं, उन्हें तब तक कार्गो के लिए टैंकर की मंजूरी नहीं दी जाएगी जब तक कि रूस 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे तेल नहीं बेचेगा।
भारत पर क्या होगा असर
यूक्रेन की जंग के बाद भारत, रूस से तेल खरीदने में नंबर दो हो गया है। इससे पहले चीन का नंबर है। अगस्त में मध्य पूर्व से भारत के तेल आयात में 16.2 फीसदी तक की कमी आई थी। यह आयात प्रतिदिन करीब 2.2 लाख तक पहुंच गया था। जबकि रूस से आयात में 4.6 फीसदी का इजाफा हुआ और यह अक्टूबर में 896,000 बैरल प्रतिदिन पर पहुंच गया।
दिन पर दिन बढ़ता आयात
भारत के आयात में रूस की हिस्सेदारी 4.24 लाख या एक लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गई है। यह करीब 21 फीसदी है। यह इराक के बराबर और सऊदी अरब से ज्यादा है जो कि नवंबर में 15 फीसदी रहा है। भारतीय रिफाइनरीज पहले ही रूस से कच्चा तेल 60 डॉलर प्रति बैरल या इससे नीचे की कीमत पर खरीद रही हैं तो ऐसे में कीमत तय होने से भारत पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता।