मध्यप्रदेश और छत्तीगढ़ के अधिकारियों के बीच सहमति बनी,साझा अभियान से होगा वनसंरक्षण
जबलपुर
जिस तरह से वन्य प्राणियों के हमले मानव आबादी पर हो रहे हैं, वो खतरनाक है। विशेष तौर पर मध्यप्रदेश और छत्तीगढ़ की सीमा क्षेत्र के वन्य इलाकों में ये स्थिति विकट हुई है। इस स्थिति से निपटने दोनों प्रदेशों के वन अधिकारियों के बीच एक सहमति बनी है। इसके तहत सीमावर्ती क्षेत्रों की आबादी में विशेष जागरुकता अभियान और ट्रेनिंग सेमीनार के आयोजन होंगे, जिसमें वन्य प्राणियों के हमलों की स्थिति में बचाव की जानकारी दी जाएगी। वहीं वन अपराधों के नियंत्रण की दिशा में भी काम किया जायेगा।
भोरमदेव में बनी रणनीति
मानव-वन्यजीव द्वंद एवं वन्यप्राणी अपराध नियंत्रण विषय पर छत्तीसगढ एवं मध्यप्रदेश के सीमावर्ती वन अधिकारियों के बीच ये सहमति भोरमदेव अभ्यारण्य चिल्फी परिक्षेत्र के अंतर्गत लोक निर्माण विभाग के विश्राम भवन चिल्फी में बनीं। बैठक में अधिकारियों द्वारा छत्तीसगढ एवं मध्यप्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में विचरण कर रहे हाथी, शेर और अन्य वन्यप्राणियों की निगरानी, सुरक्षा, मानव-वन्यप्राणी द्वंद, वन्यप्राणी शिकार की रोकथाम, वन अपराध पर नियंत्रण आदि बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा की गयी।
लगातार चलेंगे अभियान
अब उक्त क्षेत्रों में लगातार जागरुकता अभियान चलेंगे। यहां हाथियों के विचरण के समय स्थानीय नागरिकों को बचने के उपाय, जागरूकता, क्षेत्रीय कर्मचारियों को प्रशिक्षण, वन्यप्राणियों की शिकारियों से सुरक्षा, शिकारियों की पहचान कर आवश्यक कार्यवाही करने, संयुक्त क्षेत्रीय भ्रमण की रूपरेखा तैयार कर भ्रमण करने आदि की जानकारी शिविरों के माध्यम से जनसामान्य को दी जायेगी।
इन क्षेत्रों पर फोकस
गौरेला-पेण्ड्रा मरवाही से पंडरिया-तरेगांव-फेन अभ्यारण्य की तरफ होते हुए कान्हा टायगर रिजर्व से वापस उसी रूट पर वन्य प्राणियों की आवाजाही ज्यादा है, इस कारण इन्हीं क्षेत्रों पर फिलहाल फोकस किया जा रहा है, ताकि आस-पास के गांव में जनहानि-पशुहानि न हो। हाथी-मानव द्वंद को नियंत्रित एवं कम करने के संबंध में जागरूकता के विषय पर तथा छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के अधिकारियों के बीच समय पर सूचनाओं के आदान-प्रदान करने पर भी चर्चा हुई है।