November 28, 2024

भारत-चीन तनाव की कहानी, 108 साल है पुरानी; इन 5 घटनाओं ने लिखा इतिहास

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 नई दिल्ली 
वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी LAC पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प की खबर आई। इस बार जगह अरुणाचल प्रदेश का तवांग सेक्टर थी। खबर है कि भारतीय जवानों ने चीनी पक्ष को खदेड़ दिया। इसी तरह की एक घटना मई 2020 में भी सामने आई, जब भारत के कई वीर चीनी सैनिकों का सामना करते हुए शहीद हो गए। हालांकि, ताजा घटनाएं ये दो ही हैं, लेकिन इनके तार करीब 100 साल पुराने हैं।

कहां से हुई शुरुआत
दोनों देशों की बीच के इस संघर्ष को 1914 से जोड़ा जा सकता है, जब ब्रिटेन, चीन और तिब्बत के प्रतिनिधि शिमला में जुटे। वह बैठक तिब्बत का दर्जा निर्धारित करने और चीन और ब्रिटिश इंडिया के बीच सीमा की बात को लेकर संधि पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी। खास बात है कि चीन ने साइन करने से इनकार कर दिए, लेकिन ब्रिटेन और तिब्बत ने संधि पर हस्ताक्षर किए। यह रेखा मैकमैहन लाइन कहलानी थी। भारत का मानना है कि 550 मील लंबी यह लाइन भारत और चीन की आधिकारिक सीमा है, लेकिन चीन ने कभी इसे स्वीकार नहीं किया।

बात युद्ध तक पहुंच गई
साल 1962 में बात युद्ध तक पहुंच गई, लेकिन इसके तार भी 1947 तक जाते हैं। तब भारत को आजादी मिली ही थी और इसके दो साल बाद ही माओ जेदोंग ने पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना कर दी। कहा जाता है कि इसके कुछ समय बाद ही दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर खींचतान शुरू हो गई। 1950 के दशक में तनाव और बढ़ा। 

चीन ने इस बात पर जोर दिया कि तिब्बत कभी स्वतंत्र नहीं था और अंतरराष्ट्रीय सीमा के लिए संधि पर हस्ताक्षर नहीं कर सकता। चीन ने उसके पश्चिमी मोर्चे पर शिनजियांग में कई अहम सड़कों का नियंत्रण मांगा, जो भारत और उसके पश्चिमी सहयोगियों को नागवार गुजरा। नतीजा यह हुआ कि 1962 युद्ध शुरू हो गया। चीनी सैनिक मैकमैहन लाइन पार कर भारतीय क्षेत्र में पहुंच गए। युद्ध करीब 1 महीने चला और दोनों पक्षों में जमकर खून बहा। नवंबर में चीन के झोऊ एनलाई की तरफ से सीजफायर का ऐलान किया गया और अनौपचारिक रूप से उस जगह से एक सीमा खींची गई, जहां चीनी सैनिकों ने क्षेत्र बना लिया था। इसे LAC कहा जाता है।

जब भारत ने चीन को खदेड़ा
तनाव 1967 में सिक्किम को जोड़ने वाले पहाड़ी रास्तों नाथु ला और चो ला में फिर उठा। भारतीय सेना जिसे सीमा मानती है, जब उसने वहां तार बिछाने शुरू किए, तो झड़प हो गई। चीनी सेना की तरफ से गोलीबारी किए जाने के बाद झड़प और बढ़ी और फिर सैकड़ों का खून बहा। 1967 के सितंबर और अक्टूबर में हुई झड़पों को चीन और भारत के बीच दूसरा युद्ध कहा जाता है। उस दौरान भारत डटा रहा और नाथु ला में चीन को खदेड़ दिया। खास बात है कि गलवान घाटी से पहले यही घटना थी, जब दोनों पक्षों में जानें गई थीं।

जब हैरान रह गई चीन की सेना
बात साल 1987 की है। भारतीय सेना यह देखने के लिए एक ट्रेनिंग ऑपरेशन चला रही कि कितनी तेजी से सैनिकों को सीमा पर भेजा जा सकता है। अब चीनी चौकियों पर बड़ी संख्या में सैनिकों और सामान को आता देख चीनी कमांडर हैरान रह गए। अब वे जिस LAC को मानते थे, वहां उन्होंने भी आगे बढ़ने का फैसला किया। हालांकि, युद्ध जैसे हालात बनने से पहले ही भारत और चीन ने डीएस्केलेशन का रास्ता अपनाया।

गलवान में उलझी सेना
जून 2020 में भारत और चीन के बीच हिमालय की ऊंचाई पर गलवान घाटी में झड़प हो गई। इसे 40 सालों में हुई सबसे घातक झड़प माना गया। आंकड़ों बताते हैं कि दोनों पक्षों को नुकसान हुआ, लेकिन करीब 20 भारतीय जवान शहीद हो गए। इस घटना के बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव जारी है। कई दौर की बैठकों के बाद भी हालात सामान्य नहीं हो सके हैं।
 

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