जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी पंडितों की होगी ‘डायरेक्ट एंट्री’, सदन में विधेयक ला सकती है सरकार
नई दिल्ली
संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार जम्मू-कश्मीर पर भी फोकस करना चाहती है। विधानसभा चुनाव में कश्मीरी पंडितों के प्रतिनिधित्व और पहाड़ी, पाद्री, कोली और गड़ा ब्राह्मिण जैसे समुदायों को आदिवासी दर्जा दिलाने वाला विधेयक सदन में पेश किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक जम्मू-कश्मीर की कुछ सीटों पर कश्मीरी पंडितों को नामित किया जा सकता है। इसके अलावा वाल्मीकि समाज के लोगों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का भी प्रस्ताव रखा जा सकता है। कानून, गृह और समााजिक न्याय मंत्रालय इन विधेयकों को सदन में पेश करने की तैयारी कर चुका है। जम्मू-कश्मीर पुनर्संगठन कानून 2019 में संशोधन करके कश्मीरी पंडितों को सीट नामित की जा सकती है। इसके अलावा एससी/एसटी स्टेटस देने के लिए विधेयक ट्राइबल एफेयर्स मिनिस्टीर पेश करेगी। इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक राज्य पिछड़ी जाति का दर्जा तो खुद दे सकते हैं लेकिन एससी/एसटी का दर्जा देने के लिए सदन के सामने प्रस्ताव आना जरूरी है।
जस्टिस जीडी शर्मा की अंतरिम समिति और परिसीमन आयोग की रिपोर्ट में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी जातियों की जानकारी दी गई है। इसी के आधार पर कानून बनाने की तैयारी है। वहीं जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से कश्मीरी पंडितों को मिलने वाली लगातार धमकियों और हिंसा को देखते हुए भी विधानसभा में इनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए सरकार यह कदम उठा सकती है। बता दें कि 2023 की शुरुआत में ही जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो सतके हैं। जून 2018 में पीडीपी से भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में चुनी हुई सरकार नहीं है। इसके बाद अगस्त 2019 में इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया।
चुनाव आयोग के अधिकारियों का कहना है कि परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के बाद चुनाव की तैयारियां चल रही हैं औऱ बहुत सारा काम पूरा हो गया है। परिसीमन आयोग ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अत्याचार को ध्यान में रखकर कम से कम दो सीटों का नामित किया जान चाहिए जिनमें से एक पर महिला का भी प्रतिनिधित्व जरूरी है। बता दें कि केंद्र सरकार ने पुदुचेरी विधानसभा में भी तीन विधायक नामित किए हैं। बाकी के 30 विधायक चुने गए हैं। मद्रास हाई कोर्ट ने भी इस नामांकन को हरी झंडी दी थी।
पैनल ने सरकार को यह भी सलाह दी है कि पाकिस्तान से विस्थापित होकर आए लोगों को भी नामित किया जा सकता है। हालांकि केंद्र ने इस सिफारिश पर कोई फैसला नहीं किया है। वहीं शर्मा कमिशन की रिपोर्ट में पहाड़ी और अन्य समुदायों को आदिवासी दर्जा देने की बात कही गई थी। वहीं इस बात को लेकर गुज्जर और बक्करवाल में असंतोष है क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके हिस्से का रिजर्वेशन दूसरों में बंट जाएगा। हालांकि हाल में ही जम्मू-कश्मीर दौरे के समय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि आरक्षण समाहित नहीं किया जाएगा।