‘ये सिर्फ कांग्रेस तक ही सीमित नहीं है’, स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास पर क्या बोले तमिलनाडु के राज्यपाल
तमिलनाडु
तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने देश के स्वतंत्रता आंदोलनों पर व्यापक और अधिक समावेशी तरीके से सोचने की अपील की है। त्रिची में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम का इतिहा सिर्फ कांग्रेस तक ही सीमित नहीं है। ये इससे कहीं और अधिक है। आरएन रवि ने यह भी कहा कि भारत के इतिहास को लेकर हमें और अधिक ईमानदार होना चाहिए। राज्यपाल आरएन रवि बोले, ''जब हम एक जन आंदोलन की बात करते हैं तो यह केवल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस तक ही सीमित नहीं हो सकता है। वे महान नेता थे, इसमें कोई संदेह नहीं था, लेकिन इसमें और भी बहुत अधिक लोग थे। जिन्हें हम पसंद करते हैं, वो थे, डॉ बीआर अंबेडकर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, वीरा पांडिया कट्टाबोम्मन, वेलुनाचियार, चिदंबरम पिल्लई, मरुधु ब्रदर्स, पुली देवन और ऐसे कई लोग हैं, जो राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में मुख्यधारा में पर्याप्त स्थान नहीं पाते हैं लेकिन हैं।
राष्ट्रीय आंदोलन की कहानी पर भी राज्यपाल ने कही ये बात तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने राष्ट्रीय आंदोलन की मुख्यधारा की कहानी पर भी टिप्पणी की। तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने कहा, '' फैक्ट ये है कि स्कूलों और कॉलेजों में हमारे छात्रों को पढ़ाए जाने वाले राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन की मुख्य धारा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास के इर्द-गिर्द घूमती है। राष्ट्रीय आंदोलनों का मुख्यधारा का रिकॉर्ड तो यही बताता है। चूंकि वे ही थे, जो प्रमुख रूप से आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। महात्मा गांधी इस मामले में टॉप पर थे। इसलिए जो लोग राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा नहीं थे, वे या तो हाशिए पर या फुटनोट पर या कहीं नहीं गिरे।''
'हमें अपना दृष्टिकोण और अधिक ईमानदार करने की जरूरत है…' तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने आगे कहा, "राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन कब शुरू हुआ? देश के इतिहास के मुताबिक इसका बड़ा आख्यान 1857 में मिलता है। यहां तक कि अगर हम यूरोपीय विजय उपनिवेशीकरण को भी लेते हैं, तो क्या यह 1857 में था, जब स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हुआ था? अगर ऐसा होता तो 1806 के बारे में के बारे में आप लोग क्या कहेंगे। उन्होंने हमारे उपनिवेशीकरण किया जब हमारा मन आज भी उपनिवेशित है तो हम राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन को कैसे इंसाफ दे सकते हैं। हम एक तरफ, उपनिवेशीकरण के बारे में सोच सकते हैं और उसकी प्रशंसा कर सकते हैं और उन लोगों की प्रशंसा कर सकते हैं जिन्होंने हमें (अंग्रेजों) उपनिवेश बनाया और दूसरी और हम राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन की बात करते हैं और जिन्होंने यह किया? मुझे लगता है कि इसके लिए अधिक ईमानदार दृष्टिकोण की आवश्यकता है।"
तमिलनाडु के राज्यपाल ने की ये खास अपील तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने स्वतंत्रता संग्राम पर एक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा, "मुझे लगता है कि हमारे विद्वान, हमारे शिक्षाविद, हमारे छात्र जो इतिहास और रिसर्च में रुचि रखते हैं, उन्हें राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन पर एक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य विकसित करने के तरीके में इसे वाइल्डकार्ड करने की आवश्यकता है। कब तक आप हमारे राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास को मनगढ़ंत तरीके से बताएंगे। हमें अपनी ओर औपनिवेशिक दिमाग को खत्म करना चाहिए और यह आसान नहीं है लेकिन मुश्किल भी नहीं।''