November 28, 2024

शिवराज सरकार के खिलाफ शीतकालीन सत्र में अविश्वास प्रस्ताव लाएगी कांग्रेस, प्रमुख सचिव को सौंपा सूचना पत्र

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भोपाल

 मध्यप्रदेश में 19 दिसंबर से शुरू होने वाली विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस बार विपक्ष की तरफ से जोरदार हंगामा देखने को मिलेगा। शिवराज सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाने जा रही है। पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस के सीनियर विधायक पीसी शर्मा ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की सूचना विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह को दे दी है।

मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष की ओर से वरिष्ठ कांग्रेस नेता पीसी शर्मा ने विधानसभा प्रमुख सचिव एपी सिंह को अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकृत पत्र सौंप दिया। कांग्रेस इसके बाद सरकार को घेरने की तैयारी में जुट गई है। 19 दिसंबर से 23 दिसंबर तक चलने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र के लिए 18 दिसंबर को कांग्रेस ने विधायक दल की बैठक बुलाई है। इसमें सरकार को घेरने की रणनीति बनाई जाएगी।

इससे कुछ दिन पहले से ही कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही थी। लेकिन, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्तता के कारण कांग्रेस सरकार के खिलाफ पूरे तथ्य एकत्र नहीं कर पाई थी। हाल ही में नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह ने भी कहा था कि हमने पहले ही अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा कर दी थी। लेकिन, शीतकालीन सत्र पांच दिन ही बुलाया जा रहा है। सरकार चाहती ही नहीं है कि उसकी असफलताओं पर चर्चा हो सके। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस का प्रयास है कि अविश्वास प्रस्ताव शीतकालीन सत्र में ही प्रस्तुत किया जाए। यदि ऐसा नहीं हो सका तो फरवरी-मार्च 2023 में होने वाले बजट सत्र में इसे लाया जाएगा। कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव में जिन मुद्दों को शामिल करेगी, उसके लिए पुस्तिका भी छपवाई जा रही है।

कई मुद्दों पर घेरेगा विपक्ष

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह कहते हैं कि सरकार हर मोर्चे पर विफल रही है। इसके विरुद्ध एक नहीं अनेक मामले हैं। निर्माण कार्यों में अनियमितता से लेकर कर्मचारियों के साथ भी अन्याय हो रहा है। ओबीसी वर्ग को अब तक 27 फीसदी आरक्षण नहीं मिला है। अनूसूचित जाति-जनजाति के व्यक्तियों पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हैं। इसके अलावा प्रदेश में बहुचर्चित ई-टेंडरिंग मामला हो या फिर पूरक पोषण आहार की गड़बड़ी सबके सामने है। सरकार सदन में जवाब देने से बचना चाहती है, जितनी अवधि का सत्र बुलाया जाता है उतना ही नहीं चलाया जाता है। अविश्वास प्रस्ताव के लिए समय चाहिए, लेकिन शीतकालीन सत्र की अवधि कम कर दी गई है।

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