कूनो में अब तीन मादा चीतों के बाड़े में छोड़ा जाएगा एक नर चीता
भोपाल:
नामीबिया से आए सभी चीतों को बड़े बाड़े में छोड़ दिया गया है। बड़े बाड़े में छोड़ जाने के बाद चीते पूरी तरफ से भारतीय माहौल में ढलते दिख रहे हैं। अब एक नर चीता को तीन मादा चीतों (Cheetahs Breeding) के साथ बड़े बाड़े में छोड़ने की तैयारी है ताकि इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट को और सफलता मिल सके। बीते 80 वर्षों से भारत की धरती पर चीतों का जन्म नहीं हुआ है। चीता संरक्षण कोष की कार्यकारी निदेशक डॉ लॉरी मार्क ने कहा कि वे प्रजनन शुरू करने लिए नर और मादा चीतों को साथ रखने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि एल्टन, फ्रेडी और ओबान में से पहले कौन जाएगा।
केंद्रीय मंत्री ने किया निरीक्षण
सूत्रों ने बताया कि प्रोजेक्ट चीता की टीम अब संभावित ब्रीडिंग की रणनीति पर काम कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अभी पार्क की तुलना में ब्रीडिंग के लिए बड़े बाड़े अनुकुल हैं। रविवार को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कूनो नेशनल पार्क में शोधकर्ताओं, वैज्ञानिकों और वन अधिकारियों की एक टीम के साथ समीक्षा बैठक की। उन्होंने ट्वीट किया कि यह जानकर खुशी हुई कि सभी 8 चीते अच्छी तरह से अनुकूलन कर रहे हैं और पीएम नरेंद्र मोदी की दृष्टि एक पारिस्थितिक गलत को पारिस्थितिक सद्भाव में बदलने का आकार ले रहा है।
ये हैं मुश्किलें
हालांकि, चीता प्रजनन की अपनी जटिलताएं हैं। सीसीएफ के एक लेख के अनुसार केवल 20 फीसदी चीता कैद में सफलतापूर्वक प्रजनन करते हैं, आंशिक रूप से अनुवांशिक विविधता में कमी के कारण। इससे यह भी पता चलता है कि चीतों में शुक्राणु की गतिशीलता कम होती है और शिशु मृत्यु दर में वृद्धि होती है। रिसर्च के अनुसार नर बेहतर गुणवत्ता वाले शुक्राणु का उत्पादन करते हैं, जब वे लोगों की नजरों से दूर होते हैं या कम ताकझांक करने वाले लोग होते हैं। सीसीएफ मेरेडिथ हैनल के लेख में यह भी है कि मादा चीता प्रजनन में अधिक सफल होती हैं, जब उन्हें बर्थ प्लेस से दूर किया जाता है।, जहां वे पैदा हुए थे। शिफ्ट होने के बाद वह देखते हैं कि जंगल में उनके लिए क्या है।
हैनेल का कहना है कि घर की बड़ी बिल्लियों के विपरीत मादा चीता यह स्पष्ट नहीं करती हैं कि वह कब मिलन के लिए तैयार हैं और वे कई महीनों तक संकेत नहीं देती हैं। सीसीएफ के अनुसार पीएम मोदी ने नामीबिया से आए एक मादा चीता का नाम आशा रखा था। कूनो के लिए भेजे जाने के दौरान वह गर्भवती थी लेकिन उसका गर्भपात हो गया, शायद तनाव के कार। जंगल में उसके पकड़े जाने के तुरंत बाद चिकित्सा परीक्षण में भ्रूण के लिए लक्षण दिखाई दिए थे। हालांकि परीक्षण सुविधाओं और प्रोटोकॉल के अभाव में कूनो में लाए जाने के बाद भी उसकी गर्भावस्था की स्थिति स्पष्ट नहीं थी। आशा की प्रेग्नेंसी को लेकर उनके जेस्टेशन पीरियड के पूरा होने के साथ ही खत्म हो गया।