November 29, 2024

स्व सहायता समूह के महिलाओं की याचिका पर 17 को होगी सुनवाई

0

बिलासपुर

स्व सहायता समूह की महिलाओं ने राज्य शासन के निर्णय को चुनौती देते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा है कि राज्य शासन ने रेडी टू ईट को ट्रलाइज्ड कर दिया है इससे उनका रोजगार छिन गया है। परिवार के सामने आर्थिक संकट उठ खड़ा हुआ है। मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने सभी 287 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए स्व सहायता समूहों ने डिवीजन बेंच में अपील पेश की है। इस मामले की सुनवाई 17 फरवरी को होगी।
याचिकाकर्ता महिलाओं ने अपनी याचिका में कहा है कि आंगनबाड़ी में रेडी टू ईट का काम आठ साल से भी अधिक समय से कर रही हैं। राज्य शासन के मापदंड के अनुरूप अपना काम कर रही थीं इससे उनका परिवार चल रहा था। स्व सहायता समूह में गांव की अन्य महिलाओं को भी जोड़ा गया था इससे उन सभी को रोजगार मिला हुआ था। कामकाज के बदले आर्थिक मजबूती मिल रही थी। राज्य सरकार ने इसे अब सेंट्रलाइज्ड कर हम लोगों से काम छीन लिया है। इससे हम सबके सामने बेकारी का संकट उठ खड़ा हुआ है इससे आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो गई है। परिवार के सामने भरण पोषण की समस्या भी होने लगी है।

याचिकाकर्ता महिलाओं ने कहा कि राज्य शासन ने महिला स्वावलंबन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए स्वावलंबी बनाने का काम किया था। हम सभी अपना काम लगन के साथ कर रहे थे और स्वावलंबन का एक अच्छा उदाहरण भी पेश कर रहे थे। राज्य शासन ने आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से महिलाओं और बच्चों को वितरित किए जाने वाले रेडी टू ईट को आटोमेटिक मशीन के जरिए बनवाने और वितरण की केंद्रीय व्यवस्था लागू कर दी है। राज्य शासन ने यह फैसला लेते वक्त उनसे किसी तरह की चर्चा नहीं की और ना ही इस संबंध में जानकारी दी है। हमारा रोजगार छीनने से पहले वैकल्पिक व्यवस्था की जानी थी। यह भी नहीं हुआ है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एके गोस्वामी की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच में हुई। डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई के लिए अब 17 फरवरी की तिथि तय कर दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *