26 साल के इंतजार के बाद मिला न्याय, मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा, गैंगस्टर एक्ट में 5 लाख जुर्माना
गाजीपुर
गाजीपुर की एमपी-एमएलए गैंगस्टर कोर्ट ने मऊ के पूर्व विधायक और बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को लेकर विचाराधीन गैंगस्टर ऐक्ट केस की सुनवाई पूरी कर ली है। 1996 में दायर हुए 5 केस को लेकर आज बहुप्रतीक्षित फैसले के तहत दोषी करार दे दिया गया है। जिरह पूरी होने के बाद कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दस साल जेल की सजा सुनाई है। साथ ही पांच लाख का जुर्माना भी लगाया है। मुख्तार के साथी भीम सिंह को भी दस साल कैद की सजा के साथ 5 लाख जुर्माने की सजा मिली है।
फैसले को लेकर कोर्ट परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। गैंगस्टर एक्ट का यह मामला मुख्तार अंसारी और उसके सहयोगी भीम सिंह पर गाजीपुर की सदर कोतवाली में 1996 में दर्ज हुआ था। इस केस को लेकर एडीजीसी क्रिमीनल नीरज श्रीवास्तव के अनुसार अंसारी और उसके सहयोगियों पर कुल 5 गैंग चार्ज है।
सरकारी वकील नीरज श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्तार के खिलाफ वैसे तो 54 केस हैं। लेकिन गैंगस्टर ऐक्ट में कार्रवाई के लिए 5 केस को आधार बनाया गया था। इन 5 में 2 वाराणसी, 2 गाजीपुर और एक चंदौली में हुए केस थे। 1996 में ये केस दर्ज हुए थे। 26 साल के बाद आज कोर्ट ने फैसला सुनाया है।
माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ वाराणसी में अवधेश राय के अलावा राजेंद्र सिंह हत्याकांड, चंदौली में कॉन्सटेबल रघुवंश सिंह हत्याकांड, गाजीपुर में वशिष्ठ तिवारी उर्फ माला गुरु हत्याकांड के साथ ही गाजीपुर में एडिशनल एसपी एवं अन्य पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमला मामले में मुकदमा दर्ज हुआ था।
मुख्तार अंसारी पर 1991 में सिगरा, वाराणसी में अवधेश राय हत्याकांड, गाजीपुर कोतवाली क्षेत्र में तत्कालीन एडिशनल एसपी पर गोली चलाने के अलावा कुछ अन्य मामलों को लेकर कुल पांच चार्ज लगे थे। इस मामले की न्यायिक सुनवाई के क्रम में गवाही, जिरह और बहस आदि प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है। 15 दिसंबर को इस मामले में फैसला जज दुर्गेश पांडेय की कोर्ट में सुनवाई हुई।
1996 में दर्ज हुआ था मामला
मुख्तार अंसारी और उसके सहयोगी भीम सिंह पर सदर कोतवाली में 1996 में गैंगस्टर ऐक्ट के मुकदमा कायम हुआ था। इस 26 साल पुराने मामले में 25 नवंबर को फैसला सुनाने की तारीख कोर्ट ने तय की गई थी। इस बीच 24 नवंबर को पीठासीन अधिकारी का ट्रांसफर हो गया। इस कारण मामले में फैसला नहीं सुनाया जा सका।
नए पीठासीन अधिकारी दुर्गेश पांडेय ने 5 दिसंबर से हर रोज लगातार सुनवाई करते हुए सभी न्यायिक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद 15 दिसंबर को इस मामले में फैसला सुनाने की तारीख तयकी। 26 साल पुराने इस मामले में आने वाले कोर्ट के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हैं।