November 28, 2024

एजेंसिया विज्ञापन से कमा रही लाखों लेकिन बस स्टॉप का मेंटेनेंस से हाथ पीछे खींचे

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भोपाल

शहर में यूं तो 300 से अधिक बस स्टॉप हैं, लेकिन बीआरटीएस के 77 बस स्टॉप जिन पर विज्ञापन और मेंटेनेंस का राइट तीन एजेंसियों के पास हैं, वह एजेंसियों इस बस स्टॉप से लाखों रुपए विज्ञापन के नाम पर कमा रही हैं। लेकिन इनके मेंटेनेंस से इन्होंने हाथ पीछे खींच रखे हैं। अहम बात यह है कि यह देखकर भी भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) के आला अधिकारी अनदेखा कर रहे हैं। इन अफसरों को एजेंसियों से मोटा कमीशन मिलता है। जिस वजह से जिम्मेदार अफसरों को बदहाल बस स्टॉप नजर नहीं आते हैं। पांच साल पहले बस स्टॉप संवारने के लिए 15 करोड़ खर्च किए गए, अब 10 करोड़ खर्च करने की प्लानिंग की गई है। अब सवाल यह है जो काम निर्माण एजेंसियों को करवाना है वह कंपनी क्यों करवा रही है ? बीसीएलएल की यात्री सुविधा के नाम पर सारी सेवाएं ठप हैं। बीआरटीएस के बस स्टॉप के मेंटेनेंस का जिम्मा एसएससीजेवी राजदीप, आर्क आउट डोर, प्रतिभा ग्लोबल के पास है। जिन पर बीसीएलएल के आला अधिकारी मेहरबान बने रहते हैं। यह तीनों एजेंसी लाखों रुपए इन बस स्टॉप के जरिए कमा रही हैं।

…इनकी लापरवाही से बदहाल हुए बस स्टॉप
बीसीएलएल के आला अधिकारियों की लापरवाही से बस स्टॉप बदहाल हुए हैं। बीसीएलएल के एडमिन मैनेजर रोहित यादव और मैनेजर जिशान खान। इन दोनों अफसरों की लापरवाही के कारण बस स्टॉप बदहाल हुए हैं।

15 करोड़ रुपए पर फेरा पानी
करीब 5 साल पहले 77 बस स्टॉप को संवारने के लिए 15 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। जिस पर अब पानी फिर चुका है। 43 बस स्टॉप पर आटोमेटिक फेयर कलेक्शन मशीन लगाई गई थी, जो अब लंबे समय से धूल खा रही है।

रोजाना डेढ़ लाख लोगों का सफर
वर्तमान में 316 बसों का संचालन किया जा रहा है। बीआरटीएस में करीब 150 बस स्टॉप हैं। ये सभी बसें शहर के विभिन्न 20 मार्गों पर चलती हैं। प्रतिदिन इन बसों में करीब डेढ़ लाख से अधिक लोग यात्रा करते हैं।

CCTV कैमरे भी हुए चोरी
बस स्टॉप पर नजर रखने के लिए लगाए गए सीसीटीवी कैमरे और सेंसर युक्त गेट चोरी हो चुके हैं। बसों का रियल टाइम बताने के लिए 48 लाख रुपए खर्च करके लगाए गए डिजिटल बोर्ड भी उखड़ चुके हैं। एटीवीएम मशीनें कबाड़ हो गई हैं।

बस स्टॉप का समय-समय पर मेंटेनेंस किया जाता है। इस काम के लिए संबंधित एजेंसियों को नोटिस जारी किए जाते हैं। आॅटोमेटिक फेयर कलेक्शन मशीन से जो सुविधाएं यात्रियों को मिलती थी, वह सब अब आॅनलाइन कर दी गई हैं।
संजय सोनी, पीआरओ बीसीएलएल

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