November 30, 2024

बस्तर के सुदूर अंचलों में भी हो रही अब हाईटेक खेती

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रायपुर

छत्तीसगढ़ अब बदल रहा है, साथ ही बदल रही है आम जनजीवन की तस्वीर। छत्तीसगढ़ में पहले जहां किसान सिर्फ परम्परागत कृषि तक ही सोच पाते थे, वहीं अब सुदूर अंचलों के किसान भी कृषि में नवाचार करने की जुगत में लगे हैं। आलम यह हो चला है कि बस्तर के सुदूर अंचलों के किसान भी हाईटेक खेती करने लगे हैं साथ ही परम्परागत खेती से इतर बागवानी और उद्यानिकी समेत कृषि से जुड़े अन्य क्षेत्रों में भी संभावनाएं तलाश रहे हैं। ऐसी ही एक बानगी बस्तर के दंतेवाड़ा और कांकेर जैसे अंचलों में देखने को मिल रही है। यहां किसान महादेव और महेन्द्र परम्परागत कृषि के अलावा अब सब्जी उत्पादन करते हुए अपना जीवन बदलने में लगे हैं। उनके जीवन में यह नवाचार सकारात्मक बदलाव लेकर आया है। हाईटेक खेती के साथ सब्जी उत्पादन करने से इन किसानों की आय में कई गुना तक बढ़ोत्तरी हुई है, जिससे उन्हें आर्थिक संबलता मिली है।

वनांचल क्षेत्र दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के ग्राम समलूर निवासी महादेव और उत्तर बस्तर कांकेर के ग्राम दुगूर्कोंदल के महेन्द्र को उद्यानिकी की उन्नत तकनीकों की जानकारी मिली और वे बागवानी अंतर्गत सब्जी उत्पादन में लग गए। अरसे से परंपरागत खेती करते आ रहे श्री महादेव बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसे दिन भी देखे हैं जब उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। तब उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा उन्नत तकनीकी से खेती करने की सलाह दी गयी। उन्हें ड्रिप सिंचाई पद्धति एवं शेडनेट हाउस की स्थापना के बारे में बताया गया, जिसके बाद किसान श्री महादेव की जिंदगी बदल गयी। उद्यानिकी विभाग से अनुदान पर वर्ष 2021-22 में शेडनेट हाउस एवं ड्रिप स्थापना की। महादेव ने शेडनेट के अंदर आधा एकड़ भूमि पर ड्रीप पद्धति से ग्राफ्टेड टमाटर लगाया। इससे फलों का उत्पादन बढ़ा है। वे बताते है कि अच्छी फसल को देखते हुए इस तकनीक को आगे भी जारी रखने का फैसला लिया। इस तकनीक से अब तक महादेव ने 12 हजार रुपए तक के टमाटर बेचे हैं। पूरी फसल को बेचने के बाद 1 लाख 30 हजार से 1 लाख 50 हजार रुपये तक की आमदनी की उन्हें संभवना है। ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा समय-समय पर तकनीकी सलाह देते रहते हैं, जिसके कारण ये उन्नत तकनीक की खेती को देखने के लिए आस-पास के किसान भी वहां पहुंच रहे हैं। उम्मीद की जा सकती है कि ये तकनीक और भी किसानो को इसी तरह लाभ पहुंचाएगा, जहां आज महादेव के उन्नत तकनीक से की गई खेती अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन रहा है। आशा की जा सकती है कि ये कहानी यहाँ तक सीमित न होकर अन्य किसानों की सफलता की कहानी बन कर उभरेगी।

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