23 वर्षों से कृत्रिम हाथ से साईकिल पर कर रहे व्यापार और अपने परिवार का भरण पोषण
रायपुर
भगवान महावीर जन्मकल्याणक महोत्सव समिति द्वारा आयोजित नि:शुल्क विशाल दिव्यांग शिविर में 40 हाथ कटे दिव्यांगों लिए कृत्रिम हाथों का निर्माण कार्य जारी है। समिति के अध्यक्ष महेन्द्र कोचर व मुख्य सलाहकार विजय चोपड़ा ने बताया कि विगत 25 वर्षों से जैन समाज द्वारा 1000 से अधिक हाथ कटे दिव्यांगों को कृत्रिम हाथ लगाए गए हैं , सैकड़ों दिव्यांग कृत्रिम हाथ के साथ अपना जीवन यापन भरण पोषण कर रहे हैं , उनमें से एक कृत्रिम हाथ लगाकर व्यवसाय कर रहे राजेश भदौरिया के माध्यम से हाथ कटे दिव्यांगों का आत्मविश्वास बढ़ाया गया।शिविर में आए पचपेड़ी नाका निवासी राजेश भगोरिया ने बताया कि 25 वर्ष पूर्व मेडिकल कॉटन मशीन में काम करते हुए हाथ कट गया था , जीवन में निराशा छा गई थी जैन समाज द्वारा 23 वर्ष पूर्व आयोजित लखनवी कृत्रिम हाथ शिविर में मैंने पहली बार हाथ लगवाया था इस हाथ ने मेरे जीवन की दिशा बदल दी इस कृत्रिम हाथ के सहारे मैंने साइकिल में कपड़े बेचने का कार्य आरम्भ किया और प्रतिदिन लगभग 30 – 40 किलोमीटर साईकिल चलाकर व्यापार करना आरम्भ किया। इस कृत्रिम हाथ के कारण ही मैं पिछले 23 वर्षों से अपने व परिवार की जीविका चला रहा हूँ। भदौरिया ने कहा कि भगवान द्वारा दिया गया हाथ तो नही है लेकिन यह उससे कम भी नही है। ऐसे शिविर लगाने वाले जैन समाज को हृदय से धन्यवाद है। शिविर में कृत्रिम हाथों का निर्माण मंगलम लखनऊ से आई टीम द्वारा किया जा रहा है।
प्रमुख टेक्नीशियन वीरेन्द्र कुमार ने बताया कि सर्वप्रथम हाथ कटे दिव्यांग का नाप लिया जाता है उसके सही हाथ को देखकर कटे हुए भाग की कास्ट पी ओ पी बेन्डेज कास्ट ली जाती है। अच्छे हाथ की लम्बाई के अनुसार कृत्रिम हाथ का निर्माण शुरू किया जाता है। कटे हाथ पर प्लास्टर आॅफ पेरिस का ढांचा बनाया जाता है फिर उसके अनुसार पी ओ पी का मोल्ड तैयार किया जाता है। फिर रेजि? से हाथ का ढांचा बनाकर मैकेनिकल हाथ तैयार किया जाता है , उस पर स्किन कलर किया जा रहा है। उस ढांचे में पंजा फिट किया जाता है। कंधे तक स्प्रिंग आदि सिस्टम फिट किया गया है इस तरह कृत्रिम हाथ शिविर में तैयार हो रहे हैं। वीरेन्द्र कुमार पिछले 35 वर्षों से कृत्रिम हाथों का निर्माण कर रहे हैं। रायपुर में 1990 से शिविरों में आ रहे हैं और लगभग एक हजार कृत्रिम बनाकर वितरित किए गए हैं। कृत्रिम हाथ लगाकर दिव्यांग अपने रोजमर्रा के काम कर सकते हैं , साईकिल मोटरसाइकिल चला सकते हैं , टाइपिंग , कम्प्यूटर कार्य कर सकते हैं। श्री विनय मित्र मण्डल के अध्यक्ष महावीर मालू ने बताया कि 45 दिव्यांगों के जयपुर पैर हेतु नाप लिए गए हैं , जिनके पैर का निर्माण कार्य प्रगति पर है। समिति के हरीश डागा व गुलाब दस्सानी ने बताया कि चयन किये गए गूंगे बहरे दिव्यांगों को 20 व 21 दिसम्बर को श्रवण यन्त्र वितरित किये जावेंगे। श्री साधुमार्गी जैन समता युवा संघ के अध्यक्ष विकास धाड़ीवाल व सिद्धार्थ डागा ने बताया कि शिविर में दिव्यांगों के आने का सिलसिला अभी भी जारी है पैर कटे व गूंगे बहरे भाई बहनों का पंजीयन कर जांच कार्य किया जा रहा है।