तवांग के बाद बढ़ी चीनी सेना की हलचल, इस सीमा पर तैनात किए ड्रोन-फाइटर प्लेन्स
नई दिल्ली
तवांग में भारतीय सैनिकों से मुंह की खाने के बाद चीनी सेना में हलचल बढ़ गई है। इस वाकए के बाद से चीन ने तिब्बती एयरबेस पर बड़ी संख्या में ड्रोन और फाइटर एयरक्राफ्ट की तैनाती कर दी है। चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए भारत ने भी हवाई निगरानी बढ़ा दी है। पिछले कुछ हफ्तों में कम से कम दो मौकों पर भारतीय वायुसेना ने अरुणाचल प्रदेश में चीनी विमानों को भारतीय हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करते हुए पाया है।
सोरिंग ड्रैगन की तैनाती
चीन के बांगदा एयरबेस से एक तस्वीर आई है जिसमें डब्लूजेड-7 ‘सोरिंग ड्रैगन’ ड्रोन की तैनाती वहां दिखाई गई है। यह चीनी एयरबेस अरुणाचल प्रदेश से महज 150 किमी की दूरी पर है। एनडीटीवी ने मक्सर के हवाले से यह जानकारी दी है। गौरतलब है कि ‘सोरिंग ड्रैगन’ साल 2020 में पहली बार सामने आया था। इस ड्रैगन की खूबियां इसे बेहद खतरनाक बनाती हैं। यह 10 घंटे तक नॉन स्टॉप उड़ान भरने में सक्षम है। इसे इंटेलीजेंस, सर्विलांस जैसी सेवाओं के लिए बनाया गया था। यह डेटा ट्रांसमिट करने के अलावा क्रूज मिसाइल से जमीन पर स्थित टारगेट को निशाना बना सकता है। भारत के पास फिलहाल इस श्रेणी का कोई ड्रोन नहीं है।
भारत की ग्राउंड पोजीशंस पर नजर
आईएएफ के पूर्व फाइटर पायलट समीर जोशी ने इस बारे में जानकारी दी है। समीर जोशी की कंपनी न्यूस्पेस हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के साथ मिलकर भारतीय सेनाओं के लिए नई जेनरेशन के ड्रोन बना रही है। एनडीटीवी के मुताबिक समीर जोशी ने बताया कि इन गतिविधियों से पता चलता है कि चीनी सेना अक्साई चिन और नॉर्थ ईस्ट इंडियन रीजन में मिशन की तैयारी में है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह चीनी ड्रोन वहां की वायुसेना को भारतीय ग्राउंड पोजीशंस की रियल टाइम में निगरानी में मदद कर रहे हैं। इन पोजीशंस को ड्रोन्स, फाइटर एयरक्राफ्ट, मिसाइल या अन्य हथियारों से निशाना बनाया जा सकता है।
कंफ्लिक्ट जोन में निगरानी की तैयारी
14 दिसंबर को जारी हुई इन सैटेलाइट तस्वीरों में बांगदा एयरबेस पर दो फ्लैंकर टाइप फाइटर जेट्स फाइट-लाइन पर तैनात नजर आ रहे हैं। यह रूस में बने एसयू-30एकेआई फाइटर का चीनी वैरिएंट है। एक प्रमुख सैन्य विश्लेषक सिम टैक के मुताबिक सैटेलाइट तस्वीरों में जो दिख रहा है, उससे पता चल रहा है कि चीन ने भारतीय सीमा से लगी कंफ्लिक्ट जोन की निगरानी की पूरी तैयारी कर रखी है। सिम टैक 2017 में डोकलाम में हुए टकराव के बाद तिब्बत में चीनी सेना की गतिविधियों पर करीबी निगाह रखे हुए हैं। एक अन्य विशेषज्ञ का दावा है कि इस क्षेत्र में हालिया समय में चीन की हवाई ताकत में काफी इजाफा हुआ है।