उच्चतर शिक्षा देश में ज्ञान निर्माण एवं नवाचार का आधार- कुलपति शंभूनाथ विश्वविद्यालय
- शिक्षा ज्ञानार्जन को दिव्य ज्ञान की कोटि तक पहुंचाने का संकल्प- कुलपति इंदिरा गांधी जनजाति विश्वविद्यालय
- दीक्षांत समारोह में पात्र उपाधि धारकों ने किया उपाधि ग्रहण
- कुलपति द्वारा स्मारिका का किया गया विमोचन
- पंडित एसएन शुक्ला विश्वविद्यालय का द्वितीय दीक्षांत समारोह संपन्न
शहडोल
कुलपति पं. शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय शहडोल प्रो. राम शंकर ने कहा कि उच्चतर शिक्षा देश में ज्ञान निर्माण एवं नवाचार का आधार होती है। जिसका राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। उच्चतर शिक्षा का उद्देश्य केवल स्वरोजगार के सृजन के साथ समावेशी, सुसंस्कृत, उत्पादक, प्रगतिशील एवं समृद्ध राष्ट्र का प्रतिनिधित्व करना है। हम सौभाग्यशाली हैं कि इस समय राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन का दौर चल रहा है। पहली बार देश में शिक्षा संबंधी समग्र नीति का प्रणयन हुआ है। इसकी आत्मा भारतीय है और स्वरूप वैश्विक है। शिक्षा जड़ से जगत तक, आधार से आकाश तक, शून्य से शिखर तक, मनुज से मनुजता तक तथा अतीत से आधुनिकता तक पहुंचने का विधान है। पांडवों की अज्ञातवास के समय आश्रय प्रदात्री नर्मदा एवं शोणभद्र की उद्गम स्थली जैविक विविधता से भरपूर विन्ध्य की पुण्यभूमि में स्थित पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में साक्षी होकर प्रसन्नता का अनुभव कर रहा हूं। आज पंडित शंभूनाथ विश्वविद्यालय शहडोल में आयोजित द्वितीय दीक्षांत समारोह में कुलपति पं. शंभूनाथ विश्वविद्यालय शहडोल एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. राम शंकर व्यक्त किए।
कुलपति पं. शंभूनाथ विश्वविद्यालय शहडोल ने कहा कि आर्य परंपरा में प्राचीन काल से ही गुरुकुलों एवं विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह आयोजित किए जाने की परिपाटी रही है। शिक्षा प्राप्त कर उपार्जित ज्ञान-विज्ञान, कला-कौशल, चिंतन-मनन का राष्ट्र एवं मानवता के हित में किस प्रकार प्रयोग कर सकते हैं, दीक्षांत समारोह इसके आत्म निरीक्षण एवं आत्ममंथन के अवसर उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय कला, विज्ञान, वाणिज्य, आत्मिक, आध्यात्मिक और अधिभौतिक प्रगति के उत्कृष्ट सोपान हैं, जो अध्ययन शोध और अन्वेषण के माध्यम से विश्व कल्याण के मार्ग प्रशस्त करते हैं।
कुलपति पं. शंभूनाथ विश्वविद्यालय शहडोल ने कहा कि ज्ञान, प्रज्ञा और सत्य की खोज को भारतीय विचार परंपरा एवं दर्शन में सदैव सर्वोच्च मानवीय लक्ष्य माना जाता था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 सनातन भारतीय ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा के आलोक में तैयार की गई है। हमें यह ध्यान में रखना होगा कि शिक्षा सामाजिक न्याय एवं समानता प्रदान करने की एकमात्र प्रभावी साधन है। समावेशी शिक्षा द्वारा ही समतामूलक समाज का निर्माण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमें यह भी ध्यान रखना है कि विभिन्न ऐतिहासिक एवं भौगोलिक कारकों के कारण समाज के कुछ वंचित समूहों को शिक्षा का अभीष्ट लाभ प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, समाज के सभी वर्गों को शिक्षा का समुचित लाभ मिले इसे सुनिश्चित करना होगा। कुलपति ने सभी विद्यार्थियों को भावी जीवन के लिए शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद प्रदान किया।
कुलपति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षा ज्ञानार्जन को दिव्य ज्ञान की कोठी तक पहुंचाने का संकल्प है। शिक्षा मनुष्य के विकास की अत्यंत महत्वपूर्ण कुंजी है। यह व्यक्ति के भविष्य की कल्पना को विस्तृत विकसित एवं संपन्न करती है। उन्होंने कहा कि ज्ञान प्रज्ञा और सत्य की खोज को भारतीय विचार परंपरा और दर्शन में सदा से सर्वोच्च मानवीय लक्ष्य माना जाता रहा है इन लक्ष्यों के समन्वय से शिक्षा का कार्य अंतर्तम को प्रकाशित करना बन जाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा की यही मान्यता रही है कि ज्ञान का प्रकाश सीखने से नहीं मूल्यों की पहचान से विस्तृत होता है।
कुलपति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक ने कहा कि आरंभ से ही भारत में शिक्षा का लक्ष्य जीवन की तैयारी के रूप में केवल ज्ञानार्जन ही नहीं बल्कि पूर्ण आत्मज्ञान और मुक्ति के रूप में माना गया है। इस ज्ञान के अंतर्गत नैतिकता एवं मानवता के मूलाधारों को अंगीकृत किया गया है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी सहानुभूति दूसरों के लिए सम्मान, स्वच्छता, शिष्टाचार, लोकतांत्रिक भावना और देश की भावना को विद्यार्थी के समग्र विकास का आधार कहा गया है। उन्होंने कहा कि हमारा अध्ययन हमें चिंतन की ओर प्रेरित करने वाला होना चाहिए। अध्ययन करने के बाद अपनी स्वयं की प्राकक्ल्पना निर्मित करने से ही अनुसंधान गुणवत्तापरक और उन्नत कोटि का हो सकेगा। उन्होंने कहा कि हमें अपनी परंपरा और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए। हमारे मन में उत्कृष्ट देश अनुराग होना चाहिए इसी में शिक्षा का अर्थ और औचित्य निहित है। हमारी संस्कृति में आचार और चरित्र का सर्वाधिक महत्व स्थान रहा है आचार का संबंध आचरण से है, हमारा सामाजिक जीवन सामाजिक आचरण के आधार पर संचालित होता है।
दीक्षांत समारोह का शुभारंभ मां सरस्वती के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित एवं सरस्वती वंदना एवं कुलगीत का गायन कर किया गया। समारोह में विद्यार्थियों को दीक्षांत शपथ दिलाई गई। दिशांत समारोह में लगभग 31 छात्र छात्राओं को स्वर्ण पदक तथा लगभग 150 छात्र-छत्राओं को पात्र उपाधि ग्रहण कराई गई। कार्यक्रम में कुलपति पंडित शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय शहडोल प्रो. राम शंकर, कुलपति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी, विधायक जयसिंहनगर श्री जयसिंह मरावी सहित अन्य अतिथियों द्वारा स्मारिका का विमोचन किया गया।