चुनावी साल में पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने बिजली 3.02% महंगी करने की अनुमति मांगी,1500 करोड़ के घाटे को पूरा करने की तैयारी
जबलपुर
अगले साल मध्यप्रदेश में विधासनभा चुनाव होने हैं. बीजेपी व कांग्रेस दोनों दल चुनाव जीतने के लिए मतदाताओं को प्रभावित करने वाले मुद्दे तलाश रहे हैं. ऐसे में मध्यप्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने बिजली 3.02% महंगी करने की अनुमति मांगी है. कंपनी चुनावी साल में बिजली की दरें बढ़ाने की तैयारी में दिख रही है. कंपनी ने टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग में दिया है. इसमें 1500 करोड़ रुपये के अंतर को पूरा करने के लिए औसत 3.02 प्रतिशत बिजली के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। करोड़ों रुपये का यह अंतर आने का कारण बगैर मीटर के बिजली की खपत करने वाले दो लाख उपभोक्ता हैं। इन सभी उपभोक्ताओं से 75 यूनिट प्रति माह की बिजली खपत का ही भुगतान लिया जा रहा है।
अकेले पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में दो लाख उपभोक्ताओं को 75 यूनिट मासिक की खपत के आधार पर बिल लिया जा रहा है। बिजली की खपत कितनी हो रही है इसका कोई हिसाब किताब नहीं है। इस नुकसान की भरपाई ईमानदार उपभोक्ताओं के हिस्से आ रही है। प्रारंभिक आंकलन में पावर मैनेजमेंट कंपनी को वर्ष 2023-24 के लिए 49,500 करोड़ रुपये के राजस्व की जरूरत होगी, जबकि सारे प्रयास करने के बाद उसे केवल 48,000 करोड़ रुपये का राजस्व ही मौजूदा दर से मिलना संभावित है इस कमी को दूर करने के लिए कंपनी प्रबंधन ने औसत दर में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है।
इससे पहले कब बढ़े थे दाम
बिजली कंपनी के रिटायर्ड एडिशनल चीफ इंजीनियर और एक्सपर्ट राजेंद्र अग्रवाल ने बताया कि इसके बाद भी कंपनियों को 1537 करोड़ रुपये का घाटा होगा. इसकी भरपाई के लिए बिजली दरों में 3.2% की बढ़ोतरी करनी होगी. मध्य प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को इसके पहले जुलाई में महंगाई का झटका लगा था. फ्यूल कास्ट एडजेस्टमेंट (FCA) के नाम पर बिजली की दरों में वृद्धि की गई थी.
बिजली वितरण कंपनियों की डिमांड पर मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने फ्यूल कास्ट एडजस्टमेंट में 10 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोत्तरी की अनुमति दी थी. यह दर 1 जुलाई से 30 सितंबर तक के लिए लागू की गई थी. बिजली मामलों के जानकार रिटायर्ड इंजीनियर राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि बिजली के दाम लगातार बढ़ने से उपभोक्ताओं को जोरदार झटका लगेगा. अग्रवाल का कहना है कि बेहतर होगा कि कम्पनियां अपने खर्चों पर लगाम लगाएं और वसूली पर ध्यान दें.
अगले साल मध्यप्रदेश में विधासनभा चुनाव होने हैं. बीजेपी व कांग्रेस दोनों दल चुनाव जीतने के लिए मतदाताओं को प्रभावित करने वाले मुद्दे तलाश रहे हैं. ऐसे में मध्यप्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने बिजली 3.02% महंगी करने की अनुमति मांगी है. कंपनी चुनावी साल में बिजली की दरें बढ़ाने की तैयारी में दिख रही है. कंपनी ने टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग में दिया है.