पहली बार घिरे एकनाथ शिंदे, 83 करोड़ की जमीन 2 Cr. में देने का आरोप; इस्तीफे पर अड़ा विपक्ष
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे इन दिनों उद्धव ठाकरे सरकार में शहरी विकास मंत्री के तौर पर लिए अपने एक फैसले पर घिर गए हैं। हाल ही में हाई कोर्ट ने नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट की जमीन को 16 लोगों को लीज पर दिए जाने के फैसले पर टिप्पणी की थी, जिसके बाद से ही विपक्ष विरोध कर रहा है और उनसे इस्तीफे की मांग कर रहा है। मंगलवार को महाराष्ट्र विधानसभा में भी यह मुद्दा उठा और विपक्षी दल भर हंगामा करते रहे। अब बुधलार को भी इस पर गहमागहमी देखने को मिल सकती है। दरअसल नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट की 19,331 वर्ग मीटर जमीन गरीबों के लिए आवास बनाए जाने के लिए तय थी। एकनाथ शिंदे के सीएम बनने के बाद से यह पहला मौका है, जब वह बुरी तरह घिरे हैं।
इस भूमि को 16 लोगों को लीज पर तब दे दिया गया, जब राज्य में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास अघाड़ी सरकार चल रही थी। इस सरकार में एकनाथ शिंदे शहरी विकास मंत्री थे और उनके विभाग के फैसले से ही यह जमीन दी गई थी। इस पर विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ और पूर्व डिप्टी सीएम अजित पवार एवं कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने एकनाथ शिंदे के इस्तीफे से कम किसी भी चीज पर राजी न होने की बात कही। उन्होंने कहा कि गरीबों के घर बनाने के लिए तय 83 करोड़ रुपये की जमीन एकनाथ शिंदे ने महज 2 करोड़ रुपये में ही 16 लोगों को दे दी थी। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि शहरी विकास मंत्री के तौर पर एकनाथ शिंदे ने जमीनें अपने करीबी लोगों को मनमाने दामों पर बांट दीं।
नागपुर में जमीन ट्रांसफर के इसी मामले को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट में पीआईएल दाखिल की गई है। इस पर सुनवाई के दौरान ही हाई कोर्ट ने टिप्पणी की थी। इस बीच एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में ही बताया कि उन्होंने जमीन का आवंदन कैंसिल कर दिया था। उन्होंने कहा कि विभाग के अधिकारियों ने अदालत में चल रहे मामले के बारे में नहीं बताया था, लेकिन बाद में जब जानकारी मिली तो भूमि का आवंटन ही रद्द कर दिया गया। गौरतलब है कि 14 दिसंबर को ही हाई कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। इसके अलावा जमीन ट्रांसफर की प्रक्रिया को लेकर भी सवाल उठाए थे।