‘सर्कस’ फिल्म का रिव्यू
अपनी धमाकेदार कॉमेडी और एक्शन फिल्मों के लिए मशहूर निर्माता-निर्देशक रोहित शेट्टी ने 'सिंघम' सीरीज से पुलिस पर आधारित फिल्मों और 'गोलमाल' सीरीज से कॉमेडी फिल्मों की एक अलग दुनिया बनाई है। ये दोनों ही मूवी यूनिवर्स दर्शकों के बीच सुपरहिट हैं। रोहित शेट्टी ने कोरोना के बाद खुले सिनेमाघरों में पिछले साल दिवाली पर फिल्म 'सूर्यवंशी' से जोरदार शुरुआत की थी, जोकि एक कॉप यूनिवर्स मूवी थी। इस बार वह अपने कॉमेडी यूनिवर्स 'गोलमाल' सीरीज की अगली फिल्म 'सर्कस' लेकर हाजिर हैं। हालांकि पहले रोहित, शाहरुख खान के साथ यह फिल्म बनाना चाहते थे, लेकिन बाद में उन्होंने रणवीर सिंह को चुना।
अपने गोलमाल कॉमेडी यूनिवर्स की अगली फिल्म बनाने से पहले रोहित ने इसकी कहानी को पीछे ले जाने की प्लानिंग की और इसके लिए उन्होंने 1982 में आई फिल्म 'अंगूर' की कहानी में 'गोलमाल' की कहानी को जोड़ दिया। यानी कि उन्होंने सर्कस को गोलमाल सीरीज के प्रीक्वल के तौर पर पेश किया है। संजीव कुमार और देवेन वर्मा की यह फिल्म शेक्सपियर के पॉपुलर प्ले 'कॉमेडी ऑफ एरर्स' से इंस्पायर्ड थी, जिसे गुलजार ने डायरेक्ट किया था। 1982 में रिलीज हुई इस फिल्म को तब खूब पसंद किया गया था। पहले रोहित ने 'अंगूर' की रीमेक बनाने की बात कही थी, लेकिन हाल फिलहाल में उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा। हालांकि अगर आपने 'अंगूर' देखी है, तो आपको बखूबी समझ आ जाएगा कि फिल्म 'सर्कस' में रोहित ने 'अंगूर' को जबरदस्ती अपने 'गोलमाल' मूवी यूनिवर्स की कहानी में फिट करने की नाकाम कोशिश की है।
आपने यह कहावत जरूर सुनी होगी कि कहीं की ईट कहीं का रोड़ा भानुमति का कुनबा जोड़ा! बेशक अपनी फिल्म सर्कस में रोहित शेट्टी ने अपनी हिट फिल्म सीरीज सिंघम से लेकर गोलमाल तक के किरदार ठूंसने की कोशिश जरूर की, लेकिन आखिरकार वह उन्हें संभाल नहीं पाए। कहा भी जाता है कि अगर आप किसी चीज में ज्यादा मसाले डालेंगे, तो वह स्वाद की बजाय बेस्वाद हो जाएगी। कुछ ऐसा ही सर्कस के साथ हुआ। रोहित के लंबी चौड़ी स्टार कास्ट के साथ तमाम चालू मसाले डालने पर भी फिल्म दर्शकों का मनोरंजन करने में नाकाम रहती है।
बेशक हॉलिवुड में काफी पहले से फिल्मों के सीक्वल और मूवी यूनिवर्स बनाने का चलन है। इनके तहत फिल्मों की कहानी उसी सीरीज की अगली फिल्म और उसके कुछ किरदारों की दूसरी फिल्मों में आगे बढ़ती है। लेकिन इसके लिए वहां पर पहले से ही स्क्रिप्ट के लेवल पर प्लानिंग की जाती है। मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स इसका सफल उदाहरण है। बहरहाल, हॉलिवुड की देखादेखी अब बॉलिवुडवाले भी धड़ाधड़ सीक्वल और मूवी यूनिवर्स बना रहे हैं। लेकिन अफसोस कि स्क्रिप्ट के लेवल पर उतना काम नहीं होने की वजह से उनकी फिल्में उतना दम नहीं दिखा पा रही हैं।