September 27, 2024

भारत की स्थिति चीन की तुलना में बहुत बेहतर -रणदीप गुलेरिया

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नई दिल्ली

चीन समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना की रफ्तार को देखते हुए सरकार भी अलर्ट हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने बुधवार को महामारी की स्थिति की समीक्षा की। बैठक में फैसला हुआ कि अब हर हफ्ते कोरोना के हालात की समीक्षा की जाएगी। इन सबके बीच पूर्व AIIMS प्रमुख ने भी कोरोना के नए मामलों को लेकर चेतावनी जारी की है। AIIMS के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया ने हाई रिस्क वाले समूहों से जल्द से जल्द बूस्टर खुराक लेने को कहा है। उन्होंने कहा कि सर्दियों में वायरल संक्रमण बढ़ जाता है। ऐसे में हाई रिस्क वाले लोगों को बेहतर देखभाल की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हाई रिस्क वाले लोगों को संक्रमण से दूर रखने के लिए बूस्टर डोज अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

मालूम हो कि डॉक्टर रणदीप गुलेरिया फिलहाल गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन एंड रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन एंड डायरेक्टर के चेयरमैन हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या आने वाले महीनों में बीजिंग में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के मामले भारत को भी प्रभावित कर सकता है? गुलेरिया ने जोर देकर कहा कि भारत की स्थिति चीन की तुलना में बहुत बेहतर है। हालांकि, लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ‘भारत में टेस्टिंग में कमी आई है। सर्दी में लोग इसे वायरल फ्लू समझकर टेस्ट नहीं करा रहे हैं। अगर और टेस्ट होंगे तो वायरस के म्यूटेशन का पता चल जाएगा।’

चीन में बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए भारत अलर्ट पर है । कोरोना को लेकर क्या सावधानी बरती जाए इसपर AIIMS के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान कई सवालों के जवाब दिए हैं –

नए कोरोना वैरिएंट का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

क्या हम आने वाले दिनों में अधिक मामले देखने जा रहे हैं या हम अस्पताल में भर्ती होने और मौतों की लहर देखने जा रहे हैं? डॉ. गुलेरिया ने कहा, 'हमारी प्रतिरोधक क्षमता अधिक है और इस वैरिएंट से डेल्टा वेव की तरह निमोनिया नहीं होता है, इसलिए मुझे लगता है कि हम हल्की बीमारियों में वृद्धि देख सकते हैं, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने या मौतों में नहीं।'

क्या वैक्सीन का चौथा शॉट अनिवार्य है ?

क्या भारत के लोगों के लिए चौथा टीका शॉट अनिवार्य किया जाना चाहिए? गुलेरिया ने कहा- 'यह ऐसा कुछ है जिस पर हमें अधिक डेटा चाहिए। हमारे पास यह कहने के लिए पर्याप्त डेटा नहीं है कि हमारी प्रतिरक्षा के संदर्भ में वर्तमान स्थिति क्या है। यह कहना तर्कसंगत हो सकता है कि एक वर्ष के बाद दूसरा बूस्टर लेना सार्थक हो सकता है। लेकिन मुद्दा यह है कि क्या बूस्टर उतना ही प्रभावी है जितना पहले था या हमें अपनी वैक्सीन रणनीति बदलने की जरूरत है। इसलिए हमें और डेटा चाहिए। यदि आप पहले से ही एक बूस्टर ले चुके हैं, तो दूसरा लेने की कोई जल्दी नहीं है। लेकिन हमें वर्तमान टीकों की प्रभावकारिता को समझने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले शोध भी करने चाहिए और क्या हमें सर्कुलेटिंग स्ट्रेन को कवर करने के लिए एक नए टीके की आवश्यकता है।

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