संचित जल की हर बूंद से ऊर्जा की अवधारणा पर कार्य करें : ऊर्जा मंत्री तोमर
ऊर्जा मंत्री ने की मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कम्पनी के कार्यों की समीक्षा
भोपाल
संचित जल की हर बूंद से ऊर्जा की अवधारणा पर कार्य करें। प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म-निर्भर बनाने के लिये हर संभव उपाय करें। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने यह निर्देश मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कम्पनी के कार्यों की समीक्षा में दिये।
ऊर्जा मंत्री तोमर ने कहा कि रबी सीजन के लिये पर्याप्त बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की जाये। ताप एवं जल विद्युत गृहों की ऑडिट रिपोर्ट पर त्वरित कार्यवाही करें। सभी स्थानों पर फायर फायटिंग सिस्टम ठीक रखें। सिंगाजी ताप विद्युत गृह की सभी यूनिट जल्द से जल्द ठीक करवायें, जिससे वह पूरी क्षमता के साथ कार्य कर सकें। उन्होंने सतपुड़ा ताप विद्युत गृह के उत्कृष्ट प्रदर्शन पर पूरे स्टॉफ की सराहना की। उन्होंने कहा कि इसी तरह का कार्य अन्य विद्युत गृहों में भी किया जाये।
ऊर्जा मंत्री तोमर ने कहा कि 660 मेगावॉट की अमरकंटक एवं 660 मेगावॉट की सतपुड़ा ताप विद्युत परियोजना सारणी के शुभारंभ की कार्यवाही युद्ध-स्तर पर करें। इसके लिये जो भी जरूरी मानव संसाधन चाहिये, उसका प्रस्ताव भेजें। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की उपस्थिति के लिये बॉयोमेट्रिक के स्थान पर मोबाइल बेस्ड व्यवस्था सुनिश्चित करें।
दुर्घटनाओं की संख्या शून्य करें
ऊर्जा मंत्री तोमर ने कहा कि ताप विद्युत गृहों में दुर्घटनाओं को रोकने के लिये कर्मचारियों को हेलमेट, सेफ्टी शू, सेफ्टी बेल्ट एवं अन्य सुरक्षा उपकरणों का उपयोग सुनिश्चित करें। इसकी सतत समीक्षा भी हो।
प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे ने कहा कि विद्युत गृहों में प्रस्तावित सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना समय-सीमा में हो। उन्होंने ताप विद्युत गृह बिरसिंहपुर की इकाइयों के नवीनीकरण, आधुनिकीकरण और ताप विद्युत गृहों में वर्ष 2022-23 के लिये कोयले की आवश्यकता एवं उपलब्धता संबंधी निर्देश दिये।
पॉवर जनरेटिंग कम्पनी के एम.डी. मंजीत सिंह ने बताया कि कम्पनी मुख्य रूप से 4 लक्ष्यों को लेकर कार्य कर रही है। पहला- कबाड़ हटाओ-सुंदर बनाओ, दूसरा- अबकी बार, हर बार इकाई 100 दिन लगातार, तीसरा- संचित जल की हर बूंद से ऊर्जा और चौथा- हर इकाई नियामक मानक पर आये। उन्होंने बताया कि सारणी जलाशय से जलकुंभी हटाने का कार्य तेजी से चल रहा है। इस उल्लेखनीय कार्य का प्राक्कलन कुछ कम्पनियों ने 18 करोड़ रूपये बताया था और समय-सीमा 5 साल निर्धारित की थी, इसी कार्य को आईआईटी ने 50 लाख रूपये में 18 माह में करने का प्रॉमिस किया है।