राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से 2024 में होगी सत्ता में वापसी? कांग्रेस करेगी मंथन
नई दिल्ली
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी करीब तीन हजार किलोमीटर चलकर देश की राजधानी दिल्ली पहुंची। दिल्ली में चंद दिनों के विश्राम के बाद यात्रा दोबारा शुरू होगी। विश्राम की अवधि में यह मंथन भी जरूर होगा कि अब तक यात्रा सियासी रूप से कितना असर डाल पाई? राहुल गांधी या पार्टी को यात्रा से कितना लाभ हुआ? विपक्ष में कितनी स्वीकार्यता बढ़ी? यात्रा सत्ता की सियासत में कांग्रेस को कितनी मदद करेगी?
जानकार मानते हैं कि कुछ सवालों का जवाब समय के साथ मिलेगा, लेकिन यात्रा का जो त्वरित लाभ साफ नजर आ रहा है, वह यह है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की जो छवि सोशल मीडिया में विरोधियों द्वारा गढ़ी जा रही थी, उससे वे काफी हद तक बाहर आ रहे हैं। उनकी छवि एक मजबूत, दृढ़ संकल्प वाले नेता के तौर पर उभरी है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि विपक्षी दलों में उन्हे लोग नेता मान लेंगे या फिर कांग्रेस चुनावी लाभ लेने में कामयाब होगी, यह कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन इतना जरूर है कि जिस तरह का संकल्प राहुल गांधी ने हजारों किलोमीटर पैदल चलकर दिखाया है उससे उन्हें अंदर और बाहर सभी जगहों पर चुनौती देने वाले लोग दबाव में हैं। वे पार्टी को एक रास्ता दिखाने में भी कामयाब हुए हैं कि कांग्रेस लोगों के बीच जाकर खुद को प्रासंगिक बनाए रख सकती है।
देश के अलग अलग राज्यों में चली यात्रा में जगह-जगह पर विरोधी दल के नेता, सेलिब्रिटी और समाज के अलग अलग क्षेत्रों में काम करने वाले लोग जुड़े । दक्षिण के राज्यों में यात्रा का काफी असर दिखा है ऐसे में पार्टी नेताओं द्वारा राजनीतिक लाभ की उम्मीद भी की जा रही है। हालांकि, ज्यादातर विश्लेषकों का कहना है कि इलेक्टोरल लाभ के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन राहुल अपनी स्वीकार्यता और गंभीर छवि बनाने में इस यात्रा से जरूर सफल हुए हैं। फिलहाल उनकी छवि एक गंभीर,अनुशासित, मेहनती, फिट रहने वाले और जीवट व्यक्तित्व की बनी है।
कर्नाटक में सिद्धारमैया, डी शिवकुमार सहित विभिन्न गुटों को राहुल गांधी यात्रा में एकजुट रखने में कामयाब रहे। वहीं राजस्थान में बेहद तल्खी तक पहुंच गए अशोक गहलोत और सचिन पायलट के रिश्तों को भी कुछ नरम करने का उनका प्रयास थोड़ा असरदायक दिखा। एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राहुल गांधी की यात्रा ने पार्टी के भीतर भी स्पष्ट कर दिया है कि वे पद के बिना भी ताकत की धुरी हैं। हालांकि 2024 में मोदी के खिलाफ राहुल गांधी एक मजबूत चेहरा बन पाएंगे इसपर अभी भी पार्टी नेता नही बोल पाते।
एक अहम बात ये भी है कि राहुल गांधी की इस यात्रा को राजनीतिक ड्रामा साबित करने का प्रयास भी कामयाब नही हुआ। हालांकि, राजनीतिक रूप से राहुल गांधी या कांग्रेस को मजबूत भाजपा के सामने लंबा सफर तय करना है। जानकार मानते हैं इस लिहाज से अभी राहुल को कई अलग अलग मुकाम तय करने होंगे। चुनावी सफलता हासिल करना भी इनमे से एक अहम पड़ाव होगा।