सोना सोबरन धोती-साड़ी योजना: गरीबों को सम्मान से जीने का हक दे रही झारखंड सरकार
झारखंड
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार पिछले तीन वर्षों से लगातार गरीब कल्याण को ध्यान में रखकर योजनाएं बना रही है और उसपर अमल कर रही है। उसकी लोकप्रिय कल्याणकारी योजनाओं में से एक है ' सोना सोबरन धोती साड़ी योजना'। झारखंड सरकार ने इसी साल सितंबर से यह योजना फिर से लॉन्च की है। इसका मकसद राज्य के गरीबों, महिलाओं, बुजुर्गों, दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के लोगों को सम्मान से साथ सिर उठाकर जीने में मदद देना है।
इस योजना के तहत राज्य के बीपीएल धारी बहुत ही मामूली रकम देकर धोती-साड़ी ले सकते हैं। लाभार्थी साल में दो-बार इस स्कीम के तहत धोती-साड़ी और लुंगी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए सरकार ने 500 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है। 'सोना सोबरन धोती साड़ी योजना' 'सोना सोबरन धोती साड़ी योजना' पहले भी हेमंत सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल थी। लेकिन, पिछली सरकार में यह बंद कर दिया गया था, जिसे की राज्य सरकार दोबारा से चला रही है। झारखंड सरकार का अधिकारियों को हिदायत है कि वह खासकर ग्रामीण इलाके के लोगों को इन योजनाओं की जानकारी दें, जिससे उन्हें इसका लाभ मिल सके। इस योजना का बजट 500 करोड़ रुपए का है।
लाभार्थी जन-वितरण प्रणाली की दुकानों से ही यह कपड़े ले सकते हैं। खनिज संपदा से भरपूर झारखंड की आम आबादी गरीब है, जिसे देखते हुए हेमंत सरकार की योजना उनका मनोबल बढ़ाने वाला लगता है। 10 रुपए कीमत रखने का मतलब है कि राज्य सरकार ये कपड़े गरीबों को साल में दो बार लगभग मुफ्त में सुनिश्चित करवा रही है। 57 लाख से ज्यादा परिवारों को लाभ हेमंत सोरेन सरकार मानकर चल रही है कि 'सोना सोबरन धोती साड़ी योजना' का लाभ राज्य के करीब 57 लाख बीपीएल कार्ड धारक परिवारों को मिलेगा।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए लाभार्थियों को मूल निवासी पत्र, बीपीएल कार्ड, आधार और राशन कार्ड की आवश्यकता पड़ती है। झारखंड सरकार जिन सोना सोबरन के नाम पर यह कल्याणकारी स्कीम चला रही है, वह झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और राज्य के पूर्व सीएम शिबू सोरेन के पिता थे। झारखंड के आम लोगों के परिधान में मुख्यतौर पर साड़ी, धोती और लुंगी ही शामिल होता है, इसी को देखते हुए राज्य सरकार ऐसी योजना चला रही है, जिससे बड़ी आबादी को आवश्यकता के मुताबिक तन ढकने के लिए पर्याप्त कपड़े उपलब्ध हो जाएं।