September 24, 2024

PV नरसिम्हा राव को लेकर असहज हो जाता है कांग्रेस आलाकमान! यह आज भी BJP के लिए पॉलिटिकल टूल कैसे

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 नई दिल्ली 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के स्मारक 'सदैव अटल' पर जाने को भाजपा ने नाटक बताया है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि राहुल वाजपेयी के स्मारक पर श्रद्धांजलि देने का नाटक कर रहे हैं। पार्टी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि वाजपेयी ईमानदारी के प्रतीक और शांति के दूत थे, जबकि राहुल गांधी भारत को बदनाम करने और नफरत फैलाने में शामिल हैं। मालूम हो कि सोमवार सुबह राहुल गांधी ने महात्मा गांधी और कई पूर्व प्रधानमंत्रियों सहित वाजपेयी को भी श्रद्धांजलि अर्पित की थी।

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने राहुल के भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हैदराबाद में पीवी नरसिम्हा राव की समाधि पर नहीं जाने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि राव का समाधि स्थल तो यात्रा के रास्ते में ही था और कांग्रेस नेता अगर पूर्व प्रधानमंत्रियों के सम्मान को लेकर गंभीर होते तो वहां जरूर जाते। इसके बाद से ही इस बात को लेकर बहस शुरू हो गई कि आखिर पूर्व पीएम राव के समाधि स्थल पर राहुल क्यों नहीं गए? राव को लेकर वो कौन सी बातें हैं जो कांग्रेस को कहीं न कहीं असहज कर देती हैं? वहीं, बीजेपी अक्सर नरसिम्हा राव और गांधी परिवार मामले को लेकर हमलावर हो जाती है।

नेहरू-गांधी परिवार के बाहर से थे राव
साल 1991 में कांग्रेस केंद्र की सत्ता में आई, जहां प्रधानमंत्री की कुर्सी पीवी नरसिम्हा राव के पास गई। राव कांग्रेस अध्यक्ष भी बने। इस दौरान कथित तौर पर सोनिया गांधी के कुछ करीबी राव को पार्टी चीफ के पद से हटाने की कोशिश में जुट गए। इसकी एक वजह यह भी बताई जाती है कि राव नेहरू-गांधी परिवार से नहीं थे। नेहरू-गांधी परिवार के बाहर से राव ऐसे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर पूरे 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। 1996 में सोनिया गांधी ने कांग्रेस के लिए प्रचार नहीं किया। जब सोनिया कांग्रेस अध्यक्ष बनीं, तो राव को पार्टी के सबसे शक्तिशाली पैनल सीडब्ल्यूसी में जगह नहीं मिली।

सोनिया और राव के बीच थे गहरे मतभेद
बताया जाता है कि सोनिया और राव के बीच कई मुद्दों को लेकर गहरी असहमति थी। इसमें बाबरी मस्जिद के विध्वंस को रोकने की राव की कथित अनिच्छा और भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी से उनका लगाव भी शामिल था। इनमें बोफोर्स घोटाले में राजीव गांधी के खिलाफ CBI केस को रद्द करने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का राव का फैसला भी प्रमुख था। 2004 में राव की मृत्यु के बाद कांग्रेस आलाकमान ने उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में रखने की इजाजत नहीं दी, जहां पार्टी के नेता उन्हें अंतिम विदाई दे पाते। राव की मृत्यु के करीब 10 साल बाद उनके नाम पर दिल्ली में स्मारक बना, लेकिन उस समय केंद्र में भाजपा की सत्ता थी।

2020 में अचानक सोनिया ने की राव की तारीफ
मनमोहन सिंह को 1991 में देश के वित्त मंत्री के तौर पर आर्थिक सुधार लाने का श्रेय दिया जाता है, मगर यह प्रधानमंत्री राव ही थे जिन्होंने उन्हें फैसले लेने की पूरी आजादी दी और राजनीतिक जोखिम खुद उठाया। जहां तक सवाल सोनिया गांधी का है उन्होंने कई साल बाद (2020 में) राव के नेतृत्व कौशल के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि पार्टी को उनकी कई उपलब्धियों और योगदानों पर गर्व है। यह बयान उस वक्त आया जब कांग्रेस ने अपनी तेलंगाना यूनिट को राव की जन्म शताब्दी मनाने की इजाजत दी।

राव से कांग्रेस की उदासीनता को लेकर उठते सवाल
2015 में कांग्रेस के सीनियर नेता जयराम रमेश ने कहा था कि राव के प्रति उदासीन रहना पार्टी की गलती थी। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य भाजपा नेता भी राव की उपेक्षा को लेकर कांग्रेस की लगातार आलोचना करते रहे हैं। पिछले महीने ही राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा तेलंगाना से होकर गुजरी, लेकिन कांग्रेस नेता राव की प्रतिमा का दर्शन करने नहीं गए। इसे लेकर बीजेपी नेता डॉ के लक्ष्मण ने राहुल गांधी से माफी की मांग की थी।
 

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