दिल्ली में सेवाओं पर केंद्र सरकार का है नियंत्रण: हाई कोर्ट
नई दिल्ली
केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच सेवाओं पर नियंत्ररण को लेकर चल रहे विवाद के बीच दिल्ली की हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है लिहाजा दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण केंद्र सरकार का है। अहम बात है कि दिल्ली हाई कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच सुनवाई करने वाली है। जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने अनुच्छेद 239एए का हवाला देते हुए कहा दिल्ली में अन्य राज्यों की पब्लिक सर्विस कमीशन नहीं है, दिल्ली एनसीटी के अंतर्गत आती है। अपने 54 पन्नों के फैसले में हाई जस्टिस सिंह ने कहा कि एनसीटी की विधानसभा को इस चीज का अधिकार नहीं है कि वह यूनियन लिस्ट की एंट्री 1, 2, 18 और 70 में किसी भी तरह का कोई हस्तक्षेप कर सके जोकि यूनियन लिस्ट में है। एनसीटी एक्ट ऑफ दिल्ली 1991 के अनुसार सेक्शन 41 के तहत लेफ्टिनेंट गवर्नर को इन मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार है, इसके लिए उन्हें प्रदेश की कैबिनेट से सलाह लेने की जरूरत नहीं है।
यही नहीं कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यूनियन टेरिटरी कैडर में दिल्ली में आईएएस और आईपीएस चंडीगढ़, अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा एंड नगर हवेली, पुड्डुचेरी, दमन एंड दीव, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम की ही तरह है, जहां पर केंद्र गृहमंत्रालय के जरिए प्रशासन को चलाता है। लिहाजा यहां दी जाने वाली सेवाएं, खासकर तत्काल प्रभाव वाली वो एंट्री 41 से संबंधित हैं और एनसीटी दिल्ली के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं।
दरअसल दिल्ली की आप सरकार लगातार यह दावा करती आ रही है कि सेवाओ पर नियंत्रण दिल्ली सरकार का है, जिसको लेकर एलजी और दिल्ली सरकार के बीच तनातनी देखने को मिल रही है। एलजी ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि केजरीवाल जबरन अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली विधानसभा के स्पीकर ने खासकर सचिवालय में एक पद का सृजन किया है, जिसपर केंद्रीय सेवा अधिकारी को तैनात किया गया। लेकिन एक दशक के बाद जब इस अधिकारी को हटाया गया तो वह कोर्ट पहुंच गए। जिसपर कोर्ट ने अपना फैसला देते हुए कहा कि स्पीकर इस तरह के पद का गठन नहीं कर सकते हैं, लिहाजा यह गैरकानूनी है।
संविधान के अनुच्छेद 187 का हवाला देते हुए जस्टिस सिंह ने कहा कि एनसीटी दिल्ली में विधानसभा में पद का गठन एलजी की अ्नुमति के बाद ही किया जा सकता है, क्योंकि उनके पास ही संविधान के अनुसार अनुच्छेद 309 के तहत इसका अधिकार है। दिल्ली विधानसभा के पास अलग से कैडर को तैनात करने का कोई अधिकार नहीं है, ना ही उनके पास पद के सृजन और तैनाती का अधिकार है। 5 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले की सुनवाई 10 जनवरी से करने का फैसला लिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच इस विवाद पर सुनवाई करेगी।