5 साल पहले ‘बिछड़े’ चाचा-भतीजा फिर एक हुए, बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल से भरा रहा 2022
बिहार
बिहार में साल 2022 राजनीतिक उथल-पुथल से भरा रहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगस्त महीने में बीजेपी से नाता तोड़ दिया और वापस महागठबंधन यानी आरजेडी-कांग्रेस एवं अन्य दलों के साथ आ गए। नीतीश ही फिर सीएम बने और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाया। पांच साल पहले 'बिछड़े' चाचा-भतीजा फिर से एक हो गए। वहीं, बीते विधानसभा चुनाव में जेडीयू से ज्यादा सीटें जीतने वाली बीजेपी विपक्ष में आ गई। नीतीश कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने का संकल्प लिया। यही नहीं, उन्होंने तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया और 2025 का विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ने की बात कही।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस साल 71 वर्ष के हो गए। साल की शुरुआत में ढलती उम्र के चलते उनकी राजनीतिक पारी धीरे-धीरे खत्म होने के कयास लगाए जा रहे थे। हालांकि, नीतीश कुमार एक चतुर नेता हैं। अगस्त 2022 में उन्होंने पलटी मारी और बीजेपी का दामन छोड़कर आरजेडी और कांग्रेस से हाथ मिला लिया। जेडीयू ने 2017 में जिस पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर साथ छोड़ा था, उसी आरजेडी के साथ पांच साल बाद वापस सत्ता में आ गई। 2022 की शुरुआत होते-होते सीएम नीतीश और बीजेपी नेताओं के बीच रिश्ते में तल्खियां आने लगी थीं। मार्च 2022 में बिहार विधानसभा के सत्र के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी नेता एवं तत्कालीन स्पीकर विजय सिन्हा के बीच खासी बहस हो गई थी। लखीसराय के एक मामले पर विजय सिन्हा ने नीतीश से सवाल किया, तो मुख्यमंत्री भड़क गए। इसके बाद दोनों एक-दूसरे पर जमकर बिफरे।
धीरे-धीरे सीएम नीतीश ने बीजेपी नेताओं और उनके कार्यक्रमों से दूरी बना ली। इसके बाद जेडीयू और बीजेपी के बीच विवाद की चर्चा तेज हो गईं। हालांकि, जुलाई महीने में जब राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव हुए तो नीतीश कुमार ने एनडीए उम्मीदवारों का समर्थन करते हुए उनके पक्ष में मतदान की अपील की। इससे जेडीयू-बीजेपी की तल्खियों की अटकलों पर ब्रेक लग गया। मगर इसके अगले महीने यानी अगस्त 2022 में अचानक नीतीश कुमार ने बीजेपी से ब्रेकअप कर दिया और अपने पुराने साथी 'भतीजे' तेजस्वी यादव से हाथ मिला लिया।
नीतीश का केंद्रीय राजनीति में जाने का ऐलान
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता जोड़ने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां भी शुरू कर दीं। उनकी नजर अब बिहार से बाहर केंद्रीय राजनीति में टिक गई। उन्होंने आगामी आम चुनाव में देशभर के विपक्षी दलों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट करने का संकल्प ले लिया। जेडीयू नेता और कार्यकर्ताओं ने उन्हें विपक्ष का पीएम कैंडिडेट तक घोषित कर दिया। इस संबंध में नीतीश कुमार ने तेलंगाना के सीएम केसीआर और फिर दिल्ली जाकर सोनिया गांधी, अरविंद केजरीवाल, शरद पवार समेत अन्य विपक्षी नेताओं से मुलाकात की। हालांकि, उनकी विपक्षी एकता की मुहिम अब तक कोई रंग नहीं ला सकी है।
तेजस्वी को उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा
साल 2022 बिहार की राजनीति के लिए काफी अहम रहा है। बीते 17 सालों से बिहार की सत्ता पर काबिज नीतीश कुमार ने आखिरकार अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी का ऐलान कर दिया। उनका उत्तराधिकारी जेडीयू नहीं बल्कि आरजेडी से है। नीतीश कुमार ने कहा कि 2025 का विधानसभा चुनाव महागठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हालांकि, बिहार में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही कुछ आरजेडी नेता नीतीश कुमार पर कुर्सी छोड़कर तेजस्वी की ताजपोशी का दबाव बना रहे थे। मगर नीतीश ने इस बहाने स्पष्ट कर दिया कि 2025 तक वे ही बिहार के सीएम रहने वाले हैं।
सत्ता परिवर्तन के बाद 3 सीटों पर उपचुनाव
बिहार में राजनीतिक उथल-पुथल और सत्ता परिवर्तन के बाद मोकामा, गोपालगंज और कुढ़नी, इन तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इनमें से नीतीश-तेजस्वी के महागठबंधन को सिर्फ मोकामा में ही जीत मिली। विपक्ष में बैठी बीजेपी ने गोपालगंज और कुढ़नी में जीत दर्ज कर अपनी स्थिति मजबूत है।
कानून-व्यवस्था, शराबबंदी को लेकर विपक्ष से घिरी नीतीश सरकार
महागठबंधन के सत्ता में आने के बाद से ही नीतीश सरकार पर बीजेपी ने हमला बोलना शुरू कर दिया। बीजेपी ने कानून व्यवस्था और शराबबंदी को मुद्दा बना दिया। कानून व्यवस्था पर लगातार सवाल उठने लगे। आपराधिक वारदातों में बढ़ोतरी होने के बाद जंगलराज की वापसी के आरोप लगने लगे। शराबबंदी कानून की समीक्षा की लगातार मांग उठने लगी। साल के आखिरी महीने में छपरा में जहरीली शराब पीने से हुई दर्जनों लोगों की मौतों के मामले पर नीतीश सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई।
अब आगे क्या, कैसा रहेगा नया साल
बिहार में नया साल 2023 भी राजनीतिक तौर पर अहम रहने वाला है। नीतीश कुमार अपनी विपक्षी एकता की मुहिम को तेज धार देंगे। नए साल के पहले महीने में ही वे बिहार की यात्रा पर निकलने वाले हैं। वे राज्य के हर जिले में जाकर लोगों को अपनी योजनाओं के फायदे बताएंगे और शराबबंदी पर फीडबैक भी लेंगे। इसके अलावा नीतीश कुमार अन्य राज्यों का भी दौरा करेंगे। विभिन्न विपक्षी दलों के नेताओं से मिलकर राष्ट्रीय गठबंधन पर चर्चा करेंगे। दूसरी ओर, बीजेपी के लिए भी नया साल अहम रहने वाला है। भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तैयारी शुरू कर दी है। कई केंद्रीय नेताओं का बिहार के अलग-अलग इलाकों में दौरा होगा। लोकसभा वार बने प्रभारी क्षेत्र में जाकर मोदी सरकार की योजनाओं के फायदे गिनाएंगे। प्रदेश कार्यकारिणी में भी बड़े बदलाव के संकेत हैं।