November 24, 2024

विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार कर्मचारियों को सातवां वेतनमान और अनुकंपा नियुक्ति की सौगात देने की तैयारी में

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भोपाल

मध्यप्रदेश में सरकार स्थाई कर्मियों को नए साल पर सातवां वेतनमान अनुकंपा नियुक्ति का तोहफा देने पर विचार विमर्श कर रही है। अगले साल विधानसभा चुनाव होना है ऐसे में राज्य सरकार हर वर्ग की चिंता करने में लगी हुई है। जहां अस्थायी कर्मचारियों के लिए कैशलेस चिकित्सा सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने पर मंथन चल रहा है वहीं प्रदेश के 48 हजार से अधिक स्थायी कर्मचारियों की भी सुध ली जा रही है। यह वह कर्मचारी हैं, जिन्हें कलेक्टर रेट पर पहले दैनिक वेतन भोगी के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में 2014-16 के बीच इन अस्थाई कर्मचारी बनाया गया अब सरकार इन कर्मचारियों को सातवां वेतनमान और इस संवर्ग में अनुकंपा नियुक्ति का प्रावधान करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।

प्रशासनिक जानकारों के अनुसार बताया जा रहा है कि सरकार ने स्थाई कर्मियों की बारे में विभाग प्रमुख से विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। बता दे प्रदेश में स्थाई कर्मचारी लंबे समय से खाली पदों पर नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले सरकार राज्य कर्मचारी कल्याण समिति की अनुशंसा पर विचार कर सकती है। समिति ने इन कर्मचारियों को सातवां वेतनमान और अनुकंपा नियुक्ति देने की अनुशंसा की हैं। उम्मीद की जा रही है कि नए साल में इन कर्मचारियों को लाभ मिलने लगेगा।

कम वेतन में सेवाएं देने को मजबूर

प्रदेश में करीब 20 25 साल से स्थायी कर्मचारी विभिन्न विभागों में सेवाएं दे रहे हैं इन कर्मचारियों को वर्तमान में छठा वेतनमान भी नहीं मिल रहा है। वर्तमान में अकुशल अस्थाई कर्मियों को 4000 अर्ध कुशल को साढ़े 4 हजार और कुशल को ₹5000 वेतनमान दिया जा रहा है।

2006 में उच्चतम न्यायालय ने भी दिया था निर्देश

मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के अध्यक्ष अशोक पांडे ने जानकारी देते हुए बताया कि उमा देवी बनाम कर्नाटक सरकार मामले में 10 अप्रैल 2006 को उच्चतम न्यायालय ने एक फैसला सुनाया था कि 10 साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों को विभागों में रिक्त पदों पर नियुक्ति दी जाए। कर्मचारी राम नरेश रावत द्वारा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के विरुद्ध लगाए गए एक अन्य मामले में न्यायालय ने रिक्त पदों पर नियुक्ति के आदेश दिए हैं, फिर भी इन कर्मियों पर निर्णय नहीं ले रही है सरकार।

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