पुलिस सत्यापन में उलझा प्रोफेसरों के प्रमोशन और परिवीक्षा पीरियड
भोपाल
उच्च शिक्षा विभाग प्रदेश के 513 कॉलेजों में पदस्थ प्रोफेसर और ढाई साल पूर्व पदस्थ हुए असिस्टेंट प्रोफेसरों के प्रमोशन और परिवीक्षा (प्रोबेशन) की गुत्थी नहीं सुलझा पा रहा है। नवनियुक्त प्रोफेसरों की परिवीक्षा समाप्त करने के लिए पुलिस सत्यापन सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। करीब 10 फीसदी प्रोफेसरों का पुलिस वेरीफिकेशन अटका हुआ है। इसके चलते विभाग ने अन्य प्रोफेसरों की परिवीक्षा भी समाप्त नहीं की।
ढाई साल पूर्व करीब दो हजार प्रोफेसरों की नियुक्तियां की गई थीं, जिनकी अभी तक परिवीक्षा अवधि समाप्त नहीं की गई। कई प्रोफेसर परिवीक्षा अवधि समाप्त होने का इंतजार कर रहे हैं।
विभाग को 90 फीसदी प्रोफेसरों की परिवीक्षा अवधि समाप्त करने की फाइल तैयार कर ली है, लेकिन 10 फीसदी प्रोफेसरों का पुलिस वेरीफिकेशन नहीं हो सका है। क्योंकि उक्त 10 फीसदी प्रोफेसरों का पुलिस वेरीफिकेशन अगल-अलग स्थानों होना है। इससे विभाग को अलग-अलग जिलों के पुलिस अधीक्षकों से पत्र व्यवहार कर वेरीफिकेशन कराना पड़ रहा है। इसके चलते पत्र व्यवहार में काफी समय जा रहा है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जनवरी समाप्त होने तक सभी का पुलिस वेरीफिकेशन हो जाएगा। इसके बाद प्रोफेसरों की परिवीक्षा अवधि समाप्त कर दी जाएगी।
कुछ विषयों पर फाइल मूवमेंट में विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक ऐसे विषयों के प्रोफेसरों की परिवीक्षा अवधि समाप्त करने की फाइल चल पड़ी है, जिसमें प्रोफेसरों की सख्या आधा दर्जन के आसपास है। उनकी फाइल को शासन के पास भेज दिया गया है, जैसे ही शासन की स्वीकृति मिल जाएगी। उनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त करने के आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
इसलिए अटका सत्यापन जीएडी के नियमानुसार नियुक्ति हासिल करने वाले व्यक्ति ने स्कूल और स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री ली है। उस समय का पुलिस वेरीफिकेशन होना चाहिए। 10 फीसदी प्रोफेसरों ने स्कूल, स्नातक और स्नातकोत्तर के साथ अन्य जिलों में रहते हुए पीएचडी का कार्य किया है। इसलिए विभाग को एक प्रोफेसर का पांच-पांच जिलों से पुलिस वेरीफिकेशन कराना पड़ रहा है।