चीन में कोरोना की तबाही, भारत में वैक्सीन की चौथी डोज की जरूरत? WHO की पूर्व चीफ साइंटिस्ट ने दिया जवाब
नई दिल्ली
चीन समेत कई देशों में कोरोना वायरस के मामलों में एक बार फिर से बढ़ोतरी देखी जा रही है। चीन के अस्पताल कोविड मरीजों से भरे पड़े हुए हैं और लोगों को इलाज के लिए जगह नहीं मिल रही है। जापान, अमेरिका जैसे भी कुछ देशों में कोविड के काफी मामले सामने आए हैं। इसकी वजह से भारत सरकार अलर्ट मोड पर है। आशंका जताई गई है कि मिड जनवरी में कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे में अगले 40 दिन काफी अहम रहने वाले हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की पूर्व चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने चीन में कोरोना मामलों में बढ़ोतरी और भारत में टीके के चौथे डोज से जुड़े सवालों का जवाब दिया। चीन में कोरोना वायरस के मामलों को लेकर डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि चीन में जो अभी हो रहा है, वह साल 2022 और उससे पहले हमने दूसरे देशों में देखा है, जहां पर वायरस ने बहुत कम वायरस का ट्रांसमिशन था और फिर प्रतिबंध हटा दिए गए थे। चूंकि, चीनी नैचुरल इंफेक्शन के संपर्क में नहीं आए और वैक्सीन की इम्युनिटी भी कम हो जाती है। वहीं, बड़ी संख्या में बुजुर्गों का प्राइमरी वैक्सीनेशन भी नहीं हुआ है। ऐसे में आबादी का बड़ा हिस्सा ओमिक्रॉन सब-वैरिएंट के संक्रमण की चपेट में है। अभी के लिए, सर्कुलेटिंग वैरिएंट दुनिया के अन्य हिस्सों में देखे जाने वाले वैरिएंट के ही समान है। हमें किसी भी उभरते संबंधित वैरिएंट पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है।
भारत में टीके के चौथे डोज की जरूरत?
क्या भारत को टीके के चौथे डोज की जरूरत है? इस सवाल पर WHO की पूर्व चीफ साइंटिस्ट डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है, जिसमें व्यक्ति की उम्र, कौन सी वैक्सीन दी गई, तीसरी वैक्सीन दिए गए कितना समय हो गया है आदि। ऐसे लोग जिन्हें सबसे ज्यादा रिस्क है, जैसे- बुजुर्ग, कम इम्युनिटी वाले लोगों के लिए वैक्सीन की चौथी डोज इम्यूनिटी बेस्टर की तरह साबित होगी और उससे बीमारी से लड़ने में प्रोटेक्शन भी मिलेगी। डॉ. स्वामीनाथन ने कहा कि बूस्टर डोज के लिए किस तरह की वैक्सीन की जरूरत होती है और इम्युनिटी कब तक बनी रहती है, इन सब पर अभी और रिसर्च की जरूरत है। खासतौर पर भारत जैसे देशों में जहां पर हाल ही में नैजल वैक्सीन को मंजूरी दी गई है। यह संभव है कि बूस्टर के रूप में उपयोग किए जाने पर संक्रमण की रोकथाम जैसे लाभ मिल सकते हैं, लेकिन इसके लिए सावधानीपूर्वक अध्ययन की जरूरत है।
हर साल वैक्सीन लगवाने की होगी जरूरत?
वहीं, क्या हमें हर साल वैक्सीन लगवाने की जरूरत होगी? इस पर उन्होंने कहा कि यह सौभाग्य है कि जिन वैक्सीन को हमने वुहान के ओरिजिनल वायरस का इस्तेमाल करके बनाया है, वह अब भी गंभीर रूप से बीमार करने और मौतों को टालने में कारगर हैं। हालांकि, ओमिक्रॉन सब वैरिएंट के सामने उसका प्रभाव कुछ कम जरूर होगा। उन्होंने आगे कहा, ''हालांकि, पर्याप्त इम्यूनिटी प्राप्त करने के लिए तीन डोज (दो प्राइमरी और एक बूस्टर) की जरूरत होती है। लेकिन हमें अब भी यह नहीं पता है कि क्या हर साल बूस्टर की जरूरत होगी या नहीं। हालांकि यह साफ है कि समय के साथ-साथ इम्युनिटी कम होती जाती है, खासतौर पर बुजुर्गों में।