चीन की कोविड पॉलिसी में लापरवाही! पाबंदी की तैयारी में भारत,US और ब्रिटेन भी सख्त
नईदिल्ली
चीन में एक तरफ हर दिन लाखों कोरोना केस मिल रहे हैं तो हजारों लोगों की मौतों की भी खबरें आ रही हैं। यही नहीं ऐसे तबाही के आलम के बाद भी चीन लगातार बंदिशों को कम कर रहा है। उसने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए क्वारेंटाइन की बाध्यता को समाप्त कर दिया है। इसके अलावा अपनी जीरो कोविड पॉलिसी में भी उसने ढील दे दी है, जिसका करीब ढाई साल से सख्ती के साथ पालन हो रहा था। चीन की इस बेपरवाही ने अब दूसरे देशों को टेंशन में डाल दिया है। यही वजह है कि भारत से लेकर अमेरिका तक अलर्ट हो गए हैं और पाबंदियों की तैयारियां की जा रही हैं।
भारत सरकार के सूत्रों का कहना है कि अगले सप्ताह से चीन समेत 5 देशों से आने वाले यात्रियों के लिए आरटी-पीसीआर जांच की ‘नेगेटिव रिपोर्ट’ अनिवार्य की जा सकती है। इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इसका मतलब हुआ कि नए साल की शुरुआत पाबंदियों के साथ होगी। यह निगेटिव रिपोर्ट यात्रा से 72 घंटे के दौरान की ही होनी चाहिए। इस बीच अमेरिका ने भी ऐसा ही फैसला ले लिया है। अमेरिका में 5 जनवरी से चीन, हॉन्गकॉन्ग और मकाऊ से आने वाले लोगों के लिए निगेटिव रिपोर्ट जरूरी होगी। दो साल से अधिक आयु के बच्चों के लिए भी यह रिपोर्ट अनिवार्य होगी।
अमेरिका के अलावा ब्रिटेन भी कर रहा सख्ती का प्लान
अमेरिका ने फैसला लिया है कि यात्रा की शुरुआत से दो दिनों के भीतर की टेस्ट रिपोर्ट स्वीकार की जाएगी। इसके अलावा यदि कोई यात्रा से 10 दिन पहले कोरोना संक्रमित हुआ है तो उसे रिकवरी की रिपोर्ट देनी होगी, तभी अमेरिका में एंट्री की परमिशन होगी। यही नहीं अमेरिका के अलावा ब्रिटेन भी ऐसा ही फैसला लेने पर विचार कर रहा है। भारत ने तो चीन के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों के लिए ऐसा ही फैसला लेने की योजना बनाई है। दरअसल भारत को लेकर कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगले 40 दिन देश के लिए अहम होंगे।
भारत के लिए क्यों अहम हैं 40 दिन, कोरोना फैलने का डर
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि भारत में जनवरी में कोविड के मामलों में तेजी आ सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि अगर कोविड की लहर आती भी है तो इससे होने वाली मौतों और संक्रमितों के अस्पताल में भर्ती होने की दर बेहद कम रहेगी। फिर भी सरकार पूरी सतर्कता बरत रही है। 27 दिसंबर को देश भर के अस्पतालों में मॉक ड्रिल की गई थी और कोरोना से निपटने के लिए जरूरी तैयारियों का जायजा लिया गया था।