September 22, 2024

साल के पहले दिन करें सूर्य देव की पूजा, पूरा साल रहेगा शुभ

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 नए साल को लेकर लोग बेहद सजग हैं. वह चाहते हैं, कि नए साल में भूलकर भी कोई ऐसी गलती न हो जाए. जिसका परिणाम हमें पूरे सालभर भूगतना पड़े.वहीं नया साल इस बार बेहद खास माना जा रहा है. नए साल की शुरुआत रविवार के दिन से हो रही है. यानी कि दिनांक 01 जनवरी 2023 को रविवार का दिन पड़ रहा है और रविवार का दिन सूर्य देवता को समर्पित है. इस दिन अगर आप सूर्य देवता की विधिवत पूजा करते हैं, तो आपको पूरे साल कभी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा और आपका पूरा साल खूशहाल भरा रहेगा. तो आइए आज हम आपको बताएंगे कि सूर्य पूजा की विधि क्या है, सूर्य देवता की पूजा कैसे करें ,किन मंत्रो का जाप करना चाहिए.

सूर्य देवता की इस विधि से करें पूजा
भगवान सूर्य की पूजा के लिए आज हमेशा तांबे के पात्र का इस्तेमाल करें. तांबे के लोटे में लाल चंदन या फिर पीला चंदन, अ7त, फूल, डालकर सूर्य देवता को अर्घ्य दें और घी के दीपक से उनकी आरती करें. इसके अलावा जब आप सूर्य देवता को अर्घ्य देने जा रहे हैं, तो 'ऊँ सूर्याय नम:' मंत्र का जाप जरूर करें. सूर्य देवता को अर्घ्य देते समय आपकी भुजाएं इतनी ऊपर उठनी चाहिए, कि जल धारा में सूर्य देवता का प्रतिबिंब दिखे.

सूर्य देव की पूजा में करें इन मंत्रों का जाप
सूर्य देव की पूजा में ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ भास्कराय नम:, ऊँ आदित्याय नमः, ऊँ दिनकराय नमः, ऊँ दिवाकराय नमः, ऊँ खखोल्काय स्वाहा इन मंत्रों का जाप जरूर करें. इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा सूर्य देव से संबंधित चीजें जैसे तांबा, पीला वस्त्र, गेहूं, गुड़ आदि. इन सभी चीजों का दान करना बेहद लाभदायक साबित होता है.

हिंदू धर्म में उगते हुए सूरज का बेहद खास महत्व है. इनको रोजाना अर्घ्य देने से उन्नति होती है और सारे बिगड़े हुए काम सही हो जाते हैं. अगर आप इस दिन व्रत रखते हैं, तो आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. सूर्य देव की पूजा करने से स्वास्थ्य, सुख, पद, यश, सफलता और प्रसिद्धि की शुभ प्राप्ति होने के साथ-साथ भाग्योदय होता है.

सूर्य देव की आरती
सूर्य देवता की रोजाना आरती करने से सारे बिगड़े काम पूरे हो जाते हैं.

ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥

ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥

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