September 22, 2024

पाकिस्तान सरकार ने लिया वाशिंगटन दूतावास बिल्डिंग बेचने का निर्णय

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पाकिस्तान सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। पाकिस्तान ने वाशिंगटन के अपने दूतावास का एक हिस्सा बेचने का निर्णय लिया है। वाशिंगटन दूतावास बिल्डिंग के एक बड़े हिस्से को बेचने के लिए नीलामी प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। तीन लोगों ने इस संपत्ति को खरीदने के लिए बोली भी लगाई है। अधिकतम बोली 68 लाख डॉलर लगाई गई है। आखिर दुश्मन देश को अपनी प्रॉपर्टी बेचने को क्यों मजबूर हो रहा है पाकिस्तान, आईए जानते हैं इसकी वजह…
 
किसने कितनी लगाई बोली?
पाकिस्तान की वाशिंगटन स्थित एम्बेसी की संपत्ति को खरीदने के लिए चल रही नीलामी में तीन लोगों ने बोली लगाई है। अभी तक सबसे अधिक बोली इजरायल के एक यहूदी ग्रुप ने लगाई है। यह ग्रुप 68 लाख डॉलर की लगाई गई है। इसके बाद एक भारतीय ने 50 लाख डॉलर की बोली लगाई है। जबकि तीसरी बोली एक पाकिस्तानी शख्स ने लगाई है। उसने अपने देश की संपत्ति के लिए 40 लाख डॉलर देने की पेशकश की है। पाकिस्तान के अखबार ने इस नीलामी पर एक रिपोर्ट दी है। पाकिस्तान के एक अधिकारी के अनुसार जो सबसे अधिक बोली लगाएगा उसे ही वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी एम्बेसी का एक बड़ा हिस्सा बेचा जाएगा।

पाकिस्तान एक और प्रॉपर्टी बेचने जा रहा…
वाशिंगटन स्थित पाकिस्तानी दूतावास का एक बड़ा हिस्सा जो बिकने जा रहा है, उसे करीब दो दशक पहले ही बनवाया गया था। इस हिस्से को डिफेंस सेक्शन के रूप में पाकिस्तानी आर्मी इस्तेमाल करती रही है। लेकिन अब उसे बेचा जा रहा है। इसी तरह एक और पाकिस्तानी संपत्ति को बेचने की तैयारी है। यह है रूसवेल्ट हाउस। इस प्रॉपर्टी को भी पाकिस्तान बेचकर पैसा बनाने जा रहा है।

आखिर क्यों ऐसी स्थिति आई जो मुल्क की संपत्तियों को बेच रहा?
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति काफी बदहाल है। कुछ महीनों पूर्व ही पाकिस्तान की सरकारी इमारतों को किराया पर देने का फैसला हुआ था। इस किराया से सरकारी खर्च के लिए काम में लाया जाना था। अब विदेशी संपत्तियों को बेचकर पाकिस्तान अपनी आर्थिक तंगी दूर कर रहा है।

दरअसल, पाकिस्तान की आर्थिक स्थितियां काफी खराब हो चली हैं। कर्ज के लिए पाकिस्तान जगह जगह हाथ पसार रहा है लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी है।
 
जानकारों के अनुसार, पाकिस्तान के पास इस वक्त सिर्फ 6.7 अरब डॉलर का फॉरेन रिजर्व है। इसमें 2.5 अरब डॉलर सऊदी अरब, 1.5 अरब डॉलर UAE और 2 अरब डॉलर चीन के हैं। ये फंड्स सिक्योरिटी डिपॉजिट हैं। इसके खर्च नहीं किया जा सकता। हालांकि, अगर खर्च भी सरकार करे तो इससे तीन हफ्ते के ही इम्पोर्ट्स किए जा सकते हैं। पुराने कर्ज की किश्तें भी नहीं भरी जा सकतीं। फाइनेंस मिनिस्टर इशहाक डार ने नवंबर में कहा था कि चीन और सऊदी अरब पाकिस्तान को बहुत जल्द 13 अरब डॉलर का नया कर्ज देंगे लेकिन अभी तक नहीं मिला। उधर, कर्ज देने की बजाय चीन ने उल्टा शाहबाज शरीफ से पुराने कर्ज की 1.3 अरब डॉलर की किश्त मांग ली है। यही वजह है कि वह अपने दुश्मन देशों इजरायल और भारत के हाथों अपनी संपत्तियां बेचने को मजबूर है।

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