September 22, 2024

महाराष्ट्र के 154 गांव मध्य प्रदेश में होना चाहते हैं शामिल, राष्ट्रपति व मुख्यमंत्री को भी भेजा मांग पत्र।

0

बुरहानपुर
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार और भाजपा के लिए इसे बड़ी उपलब्धि कहा जा सकता है, कि यहां के विकास कार्यों और बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्चर को देखकर पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के लोग मध्य प्रदेश में शामिल होने की मांग करने लगे हैं। महाराष्ट्र के अमरावती जिले की धारणी तहसील के अधिकांश गांवों के लोग मध्य प्रदेश में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। इस तहसील में 63 पंचायतें और 154 गांव हैं। शुक्रवार शाम देड़तलाई के पास मप्र और महाराष्ट्र की सीमा पर एकत्र हुए 50 से ज्यादा लोगों ने अपनी इस मांग को लेकर प्रदर्शन किया। उन्होंने राष्ट्रपति और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर धारणी तहसील को मध्य प्रदेश में शामिल करने की मांग की है।

क्षेत्र में आवागमन के लिए सड़कें तक नहीं

अमरावती जिला परिषद सदस्य श्रीपाल रामप्रसाद पाल ने बताया कि धारणी तहसील करीब 150 किमी में फैली है। इसके 70 गांव मध्य प्रदेश की सीमा से लगे हुए हैं। धारणी से अमरावती की दूरी 190 किमी है। यहां न तो स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं और न ही आवागमन के लिए बेहतर सड़क हैं। 70 किमी से ज्यादा का मार्ग कई साल से जर्जर है। किसी मरीज को यदि अमरावती ले जाना हो तो वह रास्ते में ही दम तोड़ देता है। यही वजह है कि अधिकांश गांवों के लोग व्यापार और सामान खरीदने के साथ ही इलाज के लिए भी बुरहानपुर, खंडवा और बैतूल जाते हैं। इन जिलों की धारणी से दूरी 50 किमी के आसपास है। उन्होंने यह भी बताया कि बीते 30 साल से यह क्षेत्र कुपोषण से जूझ रहा है। बावजूद इसके सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। इस क्षेत्र में उद्योग धंधे और रोजगार के साधन भी ज्यादा नहीं हैं।

अफसर मराठी में और लोग हिंदी में करते हैं बात

प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बताया कि दुर्गम क्षेत्र होने के कारण महाराष्ट्र सरकार इस क्षेत्र पर ध्यान नहीं देती। कोई भी योजना यहां सबसे अंत में पहुंचती है। अधिकांश गांवों के लोग हिंदी में बातचीत करते हैं, जबकि महाराष्ट्र सरकार के अफसर मराठी में बात करते हैं। जिसके कारण उनके बीच ठीक तरह से संवाद भी नहीं हो पाता। लोगों ने कहा कि इसके विपरीत मध्य प्रदेश में बेहतर सड़कें, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और उद्योग धंधे हैं। जिससे लोगों को प्रगति करने का पूरा अवसर मिलेगा।

सड़क की है परेशानी

धारणी से इन जिलों की दूरी करीब 40 से 50 किलोमीटर है। अति दुर्गम क्षेत्र होने के कारण यहां किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। सरकारी योजनाएं भी यहां तक नहीं पहुंच पाती। यही कारण है कि पिछले करीब 30 साल से यह क्षेत्र कुपोषण से मुक्त भी नहीं हो पाया है। लोगों का कहना है कि यहां सड़क नाम की कोई चीज ही नहीं है। यहां का पूरा बाजार मध्य प्रदेश पर निर्भर है। लोग व्यक्तिगत लाभ से वंचित हैं।

धारणी में भाषा भी एक समस्या बनी हुई है। यहां के लोग हिंदी में बात करते हैं। जबकि, अफसर मराठी में ऐसे में आपस में समन्वय भी नहीं बन पाता। रहवासियों ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजकर मांग की है कि धारणी को मध्यप्रदेश में शामिल किया जाए। अमरावती जिले के जिला परिषद सदस्य श्रीपाल राम प्रसाद पाल ने कहा कि 63 ग्राम पंचायतों के लोग इस मांग को लेकर एकजुट हैं। ज्ञापन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भी भेजा गया है।

यह भी है समस्या
100 गांव में अब तक पक्की सड़कें नहीं बनी है। करीब 24 गांवों में बिजली नहीं है। कुपोषण खत्म नहीं हुआ है जबकि 30 साल में यहां करोड़ों रुपए खर्च हो चुके हैं यहां रहने वाले लोगों को मराठी नहीं आती है जबकि अधिकारियों को हिंदी नहीं आती। ऐसे में भाषा की समस्या भी आ रही है। क्षेत्र वन विभाग में आता है, लेकिन वन विभाग की कोई सुविधाएं भी इनको नहीं मिलती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *