अपने नाम पर बने स्टेडियम में मैच खेलेगा ये भारतीय खिलाड़ी, बन जाएगा अद्भुत रिकॉर्ड
नई दिल्ली
3 जनवरी की सुबह ऐसा कुछ होगा, जब एक भारतीय खिलाड़ी अपने नाम पर बने स्टेडियम में फर्स्ट क्लास मैच खेलने उतरेगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी शायद ऐसा नहीं हुआ होगा, लेकिन घरेलू क्रिकेट में दूसरी बार किसी खिलाड़ी को ये सम्मान मिलेगा। हालांकि, ये महज एक संयोग है, लेकिन फिर भी अपने आप में बड़ी बात है कि एक खिलाड़ी अपने नाम पर बने स्टेडियम में मुकाबला खेलेगा। ये खिलाड़ी कोई और नहीं, बल्कि अभिमन्यू ईश्वरन हैं, जो देहरादून में जन्मे हैं और बंगाल के लिए घरेलू क्रिकेट खेलते हैं। वे देहरादून स्थित अभिमन्यू ईश्वरन क्रिकेट एकेडमी स्टेडियम में उत्तराखंड की टीम के खिलाफ मुकाबला खेलने वाले हैं। उनसे पहले डैरेन सैमी ही एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कोई प्रोफेशनल मैच अपने नाम से बने स्टेडियम में खेला है। वैसे तो खिलाड़ियों के नाम पर दुनिया में कई स्टेडियम हैं।
रिपोर्ट की मानें तो दरअसल, 2005 में आरपी ईश्वरन ने देहारदून में एक जगह खरीदी थी और स्टेडियम बनाने का फैसला किया था। उनकी एक क्रिकेट एकेडमी थी, जिसे बाद में उन्होंने अभिमन्यू क्रिकेट एकेडमी नाम दिया था। 1995 में जन्मे उनके बेटे का नाम भी अभिमन्यू था, लेकिन स्टेडियम का नाम महाभारत के पात्र अभिमन्यू से प्रेरित था। इसे अभिमन्यू क्रिकेट एकेडमी स्टेडियम नाम मिला। 3 जनवरी को इस मैदान पर पहला फर्स्ट क्लास मैच खेला जाएगा। हालांकि, पहले कई मैच बीसीसीआई द्वारा आयोजित टूर्नामेंटों के यहां हो चुके हैं। इसको लेकर अभिमन्यू ने पीटीआई को बताया, "मेरे लिए एक ऐसे मैदान पर रणजी मैच खेलना गर्व का क्षण है, जहां मैंने एक युवा लड़के के रूप में अपना सारा क्रिकेट सीखा है। यह उनके (पिता) प्यार और कड़ी मेहनत का नतीजा है और घर आकर हमेशा अच्छा अहसास होता है, लेकिन एक बार जब आप मैदान पर होते हैं, तो ध्यान बंगाल के लिए खेल जीतने पर होता है।"
देहरादून में फ्लडलाइट वाले इस मैदान का उपयोग बीसीसीआई और उत्तराखंड क्रिकेट संघ द्वारा पिछले कुछ वर्षों से किया जा रहा है और यहां कई घरेलू मैच आयोजित किए गए हैं। इसको लेकर उनके पिता ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि ऐसे कई उदाहरण हैं (खिलाड़ियों के नाम पर मैदान पर खेलने के), लेकिन मेरे लिए यह कोई उपलब्धि नहीं है। हां, लेकिन यह अच्छा लगता है।"
अभिमन्यू ईश्वरन के पिता का कहना है, "असली उपलब्धि तब होगी जब मेरा बेटा भारत के लिए 100 टेस्ट खेल सके। यह एक ऐसा स्टेडियम है, जिसे मैंने खेल के प्रति अपने जुनून के कारण बनाया है न कि सिर्फ अपने बेटे के लिए। मैंने 2006 में (इसे) बनाना शुरू किया था और मैं अभी भी इसे लगातार अपग्रेड करने के लिए अपनी जेब से खर्च कर रहा हूं। कोई रिटर्न नहीं है, लेकिन यह खेल के प्रति मेरे प्यार है।"