धर्मांतरण को लेकर सबसे पहले 15 दिसंबर को गुर्रा गांव में हुई थी हिंसा की शुरूआत
नारायणपुर
जिले में धर्मांतरण को लेकर मचे बवाल की शुरूआत कई महिने पहले विशेष समुदाय में जाने वाले कुछ लोगों की घर वापसी के जगह-जगह आयोजन के साथ शुरू हुआ, इसे लेकर दोनो वर्गों में छुटपुट झड़प होने लगी, जिसे प्रशासन के द्वारा शांत करवाकर टालता रहा। इसी कड़ी में सबसे पहले 15 दिसंबर 2022 को दो समुदाय के बीच नारायणपुर से करीब 12 किलोमीटर की दूरी स्थित गुर्रा गांव हिंसा हुई थी। हिंसा का शिकार हुए ऐसे ही एक व्यक्ति रमेश उसेंडी ने बताया कि से गांव में स्थिति तनावपूर्ण है। उन्होंने स्वेच्छा से क्रिश्चियन धर्म को अपनाया है, लेकिन मूल धर्म के आदिवासी नहीं चाहते हैं कि वे अपना धर्मांतरण करें, उनका मानना है कि 15 दिसंबर 2022 को दो समुदाय के बीच हुई गुर्रा गांव हिंसा को टालने के बजाय गंभीरता से लेकर इस दिशा में कड़े कदम उठाया जाता तो आज स्थिति इतनी गंभीर नही होती। इससे पहले सुकमा के एसपी के द्वारा धर्मांतरण को लेकर जारी पत्र जिसमें उन्होंने यह लिखा था कि धर्म परिवर्तित आदिवासी समाज के बीच विवाद की स्थिति बन सकती है, इसलिए इस गतिविधि पर नजर रखें कानून व्यवस्था ना बिगड़े इसका खास ध्यान रखें। जिसे भी गंभीरता से नही लिया गया, जिसका परिणाम नारायणपुर में हमें देखने को मिल रहा है। नक्सलियों ने भी धर्मांतरण को लेकर पर्चा जारी कर इसका विरोध किया था, नक्सली पर्चे में बकायदा पास्टरों के नाम लिखकर सजा देने की चेतावनी तक दी गई थी।
उल्लेखनीय है कि बस्तर संभाग में धर्मांतरण के मामले तेजी से सामने आने लगे तो लोगों की नजरों में ये खटकने लगा, लोगों ने देखा कि अंदरूनी गांव में तेजी से गिरजा घरों को बनाने का काम शुरू हो गया है। पहले यह गिरजाघर कच्चे मकानों में बने, जिसे विशेष प्रार्थना कक्ष कहा गया, लेकिन धीरे-धीरे आदिवासी इस धर्म को अपनाने लगे और कच्चे गिरजाघर पक्के और बड़ी संख्या में बनने लगे। मूल धर्म के आदिवासी विशेष समुदाय के इस खेल को समझ गए और उन्होंने इसे आदिवासी समाज और उनकी परंपरा का अपमान बताते हुए इसका विरोध करना शुरू किया। इस विरोध की शुरूआत समाज की बैठकों से हुई, जिसकी मदद से विशेष समुदाय में जाने वाले कुछ लोगों की घर वापसी कराई गई। हालांकि ये तरीका बहुत ज्यादा सफल नहीं हो सका, फिर जिस किसी ने भी उनको समझाने की कोशिश की, उनके साथ मारपीट होने लगी। इस तरह के मामले देखते ही देखते पूरे गांव में बढने लगे, जिसके बाद धर्मांतरण ने हिंसा का रूप ले लिया।
इसके बाद मूल धर्म के आदिवासियों ने मिलकर धर्मांतरण करने वाले लोगों को गांव खाली करने को कहा और उनसे मारपीट भी होने लगी। जिसके बाद जिन लोगों ने धर्मांतरण किया उन्होंने भी हिंसा का रूप धारण कर लिया और मूल धर्म के आदिवासियों से भिडने लगे। हालात इतने बिगड़े की पिछले 15 दिनों में नारायणपुर में पहली बार धर्मांतरण को लेकर इस तरह के हालात देखने को मिले और आदिवासी ही आदिवासियों के जान के दुश्मन बन गए। इसके बाद नारायणपुर शहर के शांति नगर में 2 जनवरी सोमवार को सबसे ज्यादा हिंसा हुई, इस इलाके में मौजूद चार गिरजाघरों को तोड़ दिया गया और विशेष समुदाय के लोगों के घर में भी तोडफोड़ की। यहां बैजनाथ सलाम ने बताया कि वह भी विशेष समुदाय से हैं, उनके घर में भी तोडफोड़ हुई है, और उनकी पत्नी को डंडे से पीटा गया है। जब यहां हिंसा हुआ तब वह घर में मौजूद नहीं थे, लेकिन उन्होंने जरूर देखा कि करीब 200 से 300 लोग हाथों में बड़े-बड़े डंडे लेकर शांति नगर की ओर बढ़ रहे हैं और जितने भी विशेष समुदाय के लोगों के घर और आस-पास के गिरजाघर हैं वहां तोड़-फोड़ मचा रहे हैं। इसकी जानकारी जब नारायणपुर के एसपी सदानंद कुमार को लगी तो वे भी अपने दल बल के साथ इन उपद्रवियों को रोकने के लिए चर्च पहुंचे, जिसमें पुलिस के जवानों और एसपी भी घायल हो गये, जिसके बाद पुलिस के जवानों ने इन उपद्रवियों को रोका और मामला शांत कराया।
नारायणपुर के रितेश तम्बोली, अभिषेक झा का मानना है कि जिले के ग्रामीण इलाकों में तेजी से धर्मांतरण बढ़ रहा है और लोग दूसरे समुदाय में शामिल हो रहे हैं, इसे रोकने के लिए प्रशासन की ओर से जो प्रयास किए जाने हैं वह बिल्कुल भी नहीं हो रहा है। यही वजह है कि मिशनरी के लोग आसानी से इन गांवों तक पहुंच रहे हैं और मूल आदिवासियों को अपने धर्म में शामिल करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। भोले भाले आदिवासी भी बहुत जल्द इनके बातों में आकर अपना धर्म परिवर्तित कर गांव-गांव में गिरजाघर बनाकर प्रार्थना कर रहे हैं।
उल्लेखनिय है कि बस्तर में धर्मांतरण को लेकर कुछ महीने पहले भी सुकमा के एसपी सुनील शर्मा ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को पत्र लिखकर यह बताया था कि सुकमा के बीहड़ इलाकों में लगातार मूल आदिवासी अपना धर्म बदल रहे हैं और विशेष समुदाय में शामिल हो रहे हैं। सुकमा के एसपी ने 12 जुलाई 2022 को अपने अधीनस्थ अधिकारियों को पत्र लिखा था, इसमें उन्होंने लिखा था कि सुकमा जिले में ईसाई मिशनरियों और धर्म परिवर्तन आदिवासियों के द्वारा स्थानीय आदिवासियों को बहला-फुसलाकर धर्मांतरण करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने यह भी लिखा था कि धर्म परिवर्तित आदिवासी समाज के बीच विवाद की स्थिति बन सकती है, इसलिए इस गतिविधि पर नजर रखें कानून व्यवस्था ना बिगड़े इसका खास ध्यान रखें। तब भी इसे लेकर हिंदू संगठन एवं भाजपा ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार को घेरा था।