November 26, 2024

बूढ़ा पहाड़ 30 साल के बाद नक्सलियों के कब्जे से आजाद

0

रांची

झारखंड का बूढ़ा पहाड़ 30 साल के बाद नक्सलियों के कब्जे से आजाद हो गया है. सीआरपीएफ और झारखंड स्टेट पुलिस के ऑपरेशन ऑक्टोपस के जरिए सुरक्षाबलों ने बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों के कब्जे से मुक्त कराया है. छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा पर स्थित बूढ़ा पहाड़ वह इलाका है जहां पर कभी नक्सलियों का राज हुआ करता था, यहां हर तरफ नक्सलियों ने अपनी किलेबंदी कर रखी थी और सुरक्षाबलों के लिए यहां तक पहुंचना बेहद मुश्किल था. हालांकि, सीआरपीएफ के इन जांबाजों के लिए मुश्किल कुछ भी नहीं है.

ऑपरेशन की जटिलता और नक्सलियों के खतरे के बीच जी न्यूज की टीम बूढ़ा पहाड़ पहुंची. तमाम कोशिशों के बाद सीआरपीएफ ने टीम को उस इलाके में जाने की इजाजत दे दी लेकिन सुरक्षा नियमों को पूरी तरीके से पालन करने के लिए कहा गया.

दिल्ली से रांची पहुंचे और फिर रांची से बूढ़ा पहाड़ के लिए निकल पड़े. करीब 7 से 8 घंटे का सफर तय करने के बाद सीआरपीएफ के एक ऐसे कैंप में टीम पहुंची जहां बताया गया कि आगे का सफर बाइक से तय करना है. देखा जाए तो इन इलाकों में सुरक्षाबलों को आए दिन टारगेट करने के लिए नक्सली इन रास्तों पर आईडी बिछा देते हैं, जिससे CRPF के काफिले को आसानी से निशाना बनाया जा सके.

घने जंगल के बीच से पहाड़ी रास्तों को पार करते हुए ही बूढ़ा पहाड़ पहुंचा जा सकता है. लगातार इन जंगलों में नक्सलियों के छिपे होने की जानकारी मिलती रही है. इन रास्तों पर कई बार सीआरपीएफ के जवानों पर नक्सली हमला कर देते हैं. ऐसे में हर कदम फूंक-फूंककर उठाना होता है. टीम के सफर के दौरान, अचानक जंगल में कुछ हरकत हुई जिसके बाद, जंगल में रास्तों के आसपास सीआरपीएफ के कमांडो टीम ने तलाशी अभियान चलाई. जंगल में हुए मूवमेंट के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा करने के बाद कमांडोज ने सुनिश्चित किया कि आगे बढ़ना सेफ है.

इसके बाद ऑपरेशन ऑक्टोपस को लांच करने के दौरान ही महज 14 घंटो में CRPF और पुलिस ने ओनम नाम का पुल बनाकर तैयार कर दिया. जंगल के इन रास्तों में दूर-दूर तक आबादी का कोई नामों-निशान नहीं था. तभी इन रास्तों पर कुछ घर दिखाई दिए जहां ठंड से अपने आप को बचाने के लिए एक परिवार लकड़ी जला कर के बैठा हुआ था. इन गांव वालों ने बताया कि कुछ दिनों पहले तक यहां नक्सली घुमा करते थे लेकिन सीआरपीएफ के आने के बाद मूवमेंट नहीं के बराबर हो गई है.

यहां से आगे बढ़ने पर एक प्वाइंट ऐसा आया जहां से 1 घंटे तक पैदल चलना था. इन रास्तों के जरिए बूढ़ा पहाड़ तक जाने के लिए नक्सलियों के कमांडर मूवमेंट किया करते थे. सुरक्षाबल बूढ़ा पहाड़ तक ना पहुंच पाएं इसके लिए इन रास्तों पर चारों तरफ उन्होंने माइंस बिछा दी थी. लेकिन अब यहां सीआरपीएफ लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही है और काफी बड़ी संख्या में वह ऐसे माइंस को रिकवर कर रही है.

बूढ़ा पहाड़ पर पहुंचते ही सबसे पहले तिरंगा और सीआरपीएफ का झंडा दिखता है. हर तरफ जवानों में जोश था और भारत माता की जय की गूंज सुनाई दे रहे थे. पास ही एक आम का पेड़ दिखा जिसके नीचे बैठ कर नक्सली जन अदालत लगाए करते थे. जो भी नक्सलियों की बात नहीं मानते थे उनकी यहां पिटाई की जाती थी. कभी यहां नक्सलियों का लाल झंडा फहरता था.

CRPF ने ऑपरेशन ऑक्टोपस लॉन्च करने के दौरान नक्सलियों को घेरने के लिए कोर नक्सल एरिया में 4 फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस बनाये. झारखंड सेक्टर, CRPF के IG अमित कुमार ने बताया कि पूरे झारखंड से नक्सलियों को खत्म करने की दिशा में ऑपरेशन ऑक्टोपस एक बड़ी कामयाबी है.

बूढ़ा पहाड़ और उसके आसपास के इलाकों से नक्सलियों के सफाए के बाद से गांव में रहने वाले लोग बेहद खुश हैं. जो डर का माहौल पहले था अब वह खत्म हो चुका है. सीआरपीएफ यहां पर गांव वालों को मेडिकल से लेकर बच्चों की पढ़ाई तक का इंतजाम कर रही है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *