November 26, 2024

अंजलि केस में पलटी पुलिस की थ्योरी, गाड़ी में 5 नहीं 4 आरोपी थे मौजूद,  कार कौन चला रहा था?

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नईदिल्ली
दिल्ली के कंझावला केस को 6 दिन बीत गए हैं, लेकिन इसकी गुत्थी सुलझने के बजाय हर रोज और उलझती जा रही है. अंजलि के एक्सीडेंट के वक्त आरोपियों में कौन कार चला रहा था या हादसे के वक्त कार में कितने लोग मौजूद थे? इन्हें लेकर अब नया खुलासा हुआ है, जो पुलिस की पुरानी थ्योरी से बिल्कुल उलट है. 

बताया जा रहा है कि जिस समय कार अंजलि को दिल्ली की सड़कों पर घसीट रही थी, तब उसमें 5 नहीं चार आरोपी थे. पुलिस ने जिस 5वें आरोपी दीपक खन्ना को गिरफ्तार किया है, वह उस वक्त बलेनो कार में नहीं बल्कि घर पर था. दीपक ने पुलिस ने झूठ बोलकर खुद को कार का ड्राइवर बताया था.

पुलिस ने कहा था- कार में 5 आरोपी थे

अंजलि का शव 1 जनवरी को सुबह करीब 4 बजे दिल्ली के कंझावला इलाके में सड़क पर नग्न अवस्था में मिला था. इससे थोड़ी दूर पर पुलिस ने अंजलि की दुर्घटनाग्रस्त स्कूटी बरामद की थी. पुलिस के मुताबिक, अंजलि का कार से एक्सीडेंट हुआ था. इसके बाद उसका पैर कार के अगले पहिए में फंस गया था. अंजलि 12 किमी तक दिल्ली की सड़कों पर घसिटती रही थी. इससे उसकी मौत हो गई थी. पुलिस ने इस मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. साथ ही पुलिस ने बलेनो कार को बरामद किया था. पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ के आधार पर बताया था कि कार दीपक चल रहा था.

दीपक नहीं अमित चला रहा था कार
समाचार एजेंसी के मुताबिक, दिल्ली पुलिस ने अंजलि केस में गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान पुलिस ने बताया कि मामले में 5 नहीं कुल 7 आरोपी हैं. आरोपियों ने पूछताछ के दौरान विरोधावासी बयान दिए थे. इसके बाद पुलिस ने सीडीआर और सीसीटीवी की जांच की तो पता चला कि कार दीपक नहीं अमित चला रहा था. पुलिस के मुताबिक, अमित के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, ऐसे में उसके भाई अंकुश खन्ना ने दीपक से कहा कि पुलिस से वह कहे कि कार वही चला रहा था. दीपक के पास ड्राइविंग लाइसेंस था.

कार में नहीं था दीपक

पुलिस ने इस मामले में अब तक 6 आरोपियों मनोज मित्तल, दीपक खन्ना, अमित खन्ना, कृष्ण, मिथुन और आशुतोष) को गिरफ्तार किया. अभी अंकुश खन्ना की तलाश जारी है. अमित और अंकुश खास भाई हैं, जबकि दीपक चचेरा भाई है. सूत्रों के मुताबिक, एक्सीडेंट के वक्त दीपक कार में ही नहीं था. वह किसी दूसरी जगह पर था. कार अमित चला रहा था.

अमित ने एक्सीडेंट के बाद अपने भाई अंकुश को सारी बात बताई. अमित के पास लाइसेंस नहीं था. ऐसे में दोनों ने दीपक को राजी किया कि वह पुलिस से कहे कि वही कार चला रहा था. दीपक ग्रामीण सेवा में ड्राइवर था. पुलिस के मुताबिक, इस मामले में आईपीसी की सेक्शन 201 को जोड़ा गया है. पुलिस के मुताबिक, आशुतोष और अंकुश कार में नहीं थे. आशुतोष ने पुलिस से झूठ बोला था कि कार दीपक ले गया है, जबकि उससे कार अमित ले गया था.  

दीपक को एक आरोपी ने फोन कर बुलाया था. दीपक अपने चाचा का ऑटो रिक्शा लेकर पहुंचा था. यहां से वह आरोपियों को अपने घर ले गया. इसी बीच पुलिस को एक सीसीटीवी हाथ लगा है, इसमें दिख रहा है कि अमित ने एक्सीडेंट के बाद कार आशुतोष को दी और वह भी ऑटो रिक्शा से चला गया.
 
पुलिस ने किए कई बड़े खुलासे

इससे पहले गुरुवार को पुलिस ने बताया था कि आरोपी और पीड़िता अंजलि का कोई पुराना कनेक्शन नहीं निकला है. आरोपी अंजलि को पहले से नहीं जानते थे. पुलिस ने ये दावा सीडीआर रिकॉर्ड्स और सीसीटीवी फुटेज की जांच के आधार पर लिया. इतना ही नहीं अंजलि की सहेली निधि और आरोपियों का भी कनेक्शन सामने नहीं आया है.
 
पुलिस ने बताया कि जांच में पता चला है कि आरोपियों को इस बात की जानकारी थी कि उनकी कार में ह्यूमन बॉडी फंसी है. उन्होंने कहा कि हम कानूनी तरीके से मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाने की संभावनाओं पर भी काम कर रहे हैं. इससे पहले पुलिस ने बताया था कि आरोपियों की कार से अंजलि की स्कूटी टकरा गई थी. इसके बाद उसका पैर आरोपियों की कार में फंस गया था. आरोपियों की इसकी जानकारी नहीं थी कि उनकी कार में कुछ फंसा है. ऐसे में वे 12 किमी तक अंजलि को घसीटते रहे. जैसे ही आरोपियों को पता चला कि उनके कार में शव फंसा है. वे शव को सड़क पर छोड़कर भाग गए.

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