अब नालों का पानी साफ हो कर ही नदियों में गिरेगा, NGT सख्त; इन 14 शहरों में काम शुरू
बिहार
बिहार की नदियों में किसी भी सूरत में शहरों के नाले का गंदा पानी नहीं गिराया जाना है। इसके लिए कई शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट(एसटीपी) बनाए जा रहे हैं। जहां एसटीपी नहीं बना है वहां भी नालों के दूषित पानी का शोधन(बायो रेमेडिएशन) करने का निर्णय नगर विकास विभाग ने लिया है। नगर विकास विभाग ने निर्णय लिया है कि प्रदेश के चौदह शहरों के 33 नालों के गंदे पानी का शोधन किया जाएगा। इसमें अरवल, मुजफ्फरपुर, डेहरी, डालमिया नगर, गोपालगंज, जमुई, मोतिहारी, समस्तीपुर, दलसिंह सराय, आरा, दरभंगा, गया, बोधगया, औरंगाबाद और डुमरांव शामिल हैं।
एसटीपी नहीं होने के चलते अभी यहां के कई नालों का पानी सीधे नदियों में गिराया जा रहा है। इसके अलावा 2500 सामुदायिक और चलंत शौचालय भी चिह्नित किए गए हैं, जहां से मल सीधे नदियों में गिराया जा रहा है। इन्हीं नालों के पानी का शोधन(बायो रेमेडिएशन) करने के बाद नदियों में डाला जाएगा। इसके लिए एजेंसी का चयन कर लिया गया है। इन एजेंसियों से कहा गया है कि शोधन के बाद पानी की गुणवत्ता की जांच भी कराएं।
एनजीटी ने दिया है आदेश
दरअसल, एनजीटी(नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने आदेश दिया है कि किसी भी सूरत में नदियों में नाले का पानी सीधे नहीं गिराया जाए। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनने से पहले भी गंदे पानी को साफ करके ही नदियों में डालें। ऐसा नहीं करने पर हरेक माह प्रत्येक नाला के हिसाब से पांच लाख रुपये जुर्माना देना होगा।
राज्य मद से होगा खर्च
एसटीपी बनने से पहले नालों का पानी साफ करने के लिए एनएमसीजी (नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा) से मदद मांगी गई थी। नमामि गंगे से इसके लिए कोई राशि नहीं देने की बात कही गई। इसके बाद नगर विकास विभाग ने राज्य मद से पानी साफ करने का निर्णय लिया है।
योजना में चयनित शहर :
अरवल, मुजफ्फरपुर, डेहरी ( डालमिया नगर), गोपालगंज, जमुई, मोतिहारी, समस्तीपुर, दलसिंहसराय, आरा, दरभंगा, गया, बोधगया, औरंगाबाद और डुमरांव।